नई दिल्ली: शनिवार 4 दिसंबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण है। ये सूर्य ग्रहण काफी खास माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि सूर्य ग्रहण अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, अटलांटिक के दक्षिणी भाग, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका में दिखाई देगा, लेकिन भारत में सूर्य ग्रहण नहीं लग रहा है, इसलिए यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा। धार्मिक दृष्टि से ग्रहण लगना शुभ नहीं माना जाता, इसलिए ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए कई तरह के उपाय किये जाते हैं। मान्यता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य राहु और केतु द्वारा प्रताड़ित किया जाता है, इसलिए सूर्य कमजोर हो जाता है।शनिवार 4 दिसंबर का सूर्य ग्रहण एक ध्रुवीय ग्रहण के रूप में दिखाई देगा ऐसा बताया जा रहा है, जो अंटार्कटिका महाद्वीप पर होगा। वैसे तो इस साल का ये सूर्य ग्रहण दुनिया के कई हिस्सों से दिखाई देगा। हालांकि, यह भारत से दिखाई नहीं देगा। बताया जा रहा है कि यह सूर्य ग्रहण अंटार्कटिका के अलावा दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और दक्षिणी अटलांटिक के देशों से दिखाई देगा।शनिवार के दिन 4 दिसंबर को लगने वाला अंतिम सूर्य ग्रहण इसी साल 10 जून को लगे पहले सूर्य ग्रहण की तुलना में पूर्ण सूर्य ग्रहण माना जा रहा है। आंशिक सूर्य ग्रहण सुबह 10:59 बजे से लग जाएगा। पूर्ण सूर्य ग्रहण दोपहर 12:30 बजे से शुरू होगा और अधिकतम ग्रहण दोपहर 01:03 बजे लगेगा। पूर्ण ग्रहण दोपहर 01:33 बजे समाप्त होगा और अंत में आंशिक सूर्य ग्रहण दोपहर 3:07 बजे समाप्त होगा।भारत में सूर्य ग्रहण नहीं लग रहा है, इसलिए यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा, लेकिन धार्मिक दृष्टि से ग्रहण लगना शुभ नहीं माना जाता, इसलिए ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए कई तरह के उपाय किये जाते हैं। सूर्य ग्रहण के दौरान मन ही मन सूर्य देव की अराधना करें। भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। ग्रहण की समाप्ति के बाद जरूरतमंदों को कुछ न कुछ दान करें। ऐसी मान्यता है कि इससे ग्रहण का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। ग्रहण काल में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र या मृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।