Dastak Hindustan

सुधा भारद्वाज की ज़मानत के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट गई एनआईए

छत्तीसगढ़: भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में गिरफ़्तार छत्तीसगढ़ की जानीमानी सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज को बॉम्बे हाई कोर्ट से एक दिसंबर को डिफॉल्ट ज़मानत मिल गई थी। लेकिन अब राष्ट्रीय जाँच एजेंसी यानी एनआईए ने सुधा भारद्वाज की ज़मानत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुधा भारद्वाज पिछले ढाई साल से जेल में हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 21में निजी स्वतंत्रता के अधिकार के तहत सुधा भारद्वाज को जेल में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा था कि तकनीकी कारण से ज़मानत नहीं रोकी जा सकती है और बेल नहीं देने का तर्क बहुत तकनीकी है। एक दिसंबर को ज़मानत का आदेश देते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट को गिरफ़्तारी की अवधि निर्धारित 90दिनों से आगे बढ़ाने का अधिकार नहीं है।हालांकि अदालत ने आठ अन्य अभियुक्तों की ज़मानत अर्ज़ी को भी ठुकरा दिया। इनमें सुधीर डवाले, डॉ पी वरवरा राव, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, प्रोफ़ेसर शोमा सेन, महेश राउत, वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फेरेइरा शामिल हैं। इन सभी की गिरफ़्तारी 2018 में जून से अगस्त महीने की बीच हुई थी। अदालत ने सुधा भारद्वाज को आठ दिसंबर से पहले एनआईए के विशेष कोर्ट में पेश होने के लिए कहा था और यहीं ज़मानत की शर्तों पर फ़ैसला होना तय हुआ था। अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ की सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज को बॉम्बे हाईकोर्ट की ओर से मिली जमानत के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

शेयर करे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *