लखनऊ(उत्तर प्रदेश):-प्रदूषित हवा की मार झेल रहे शहर में सोमवार को प्रदूषण के स्तर में भले ही गिरावट दर्ज की गई हो|लेकिन हवा में घुले प्रदूषक कणों से अभी भी राहत नहीं है। रविवार रात नौ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 357 दर्ज किया गया| जिसमें भारी धातु के प्रदूषकों के कणों का स्तर गंभीर स्थिति में है। विशेषज्ञों के अनुसार भारी कण वातावरण में मानक से करीब 16 गुना से अधिक हैं। पिछले कई दिनों से सुबह के समय वातावरण में छाई धुंध शहरवासियों के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। रविवार सुबह को भी वातावरण में धुंध छाई हुई थी। शनिवार को मुरादाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक 414 था |जो रविवार को घटकर 357 दर्ज किया गया। देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में मुरादाबाद का स्थान 22वें नंबर पर रहा। इसमें पीएम 2.5 का अधिकतम स्तर 487 और पीएम 10 का अधिकतम स्तर 431 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। विशेषज्ञों के अनुसार यह हवा बहुत खराब श्रेणी की है। लंबे समय तक ऐसी माहौल में रहने से सांस की बीमारी होने की आशंका रहती है। नोडल अधिकारी सीपीसीबी डॉ. अनामिका त्रिपाठी ने बताया कि वायु प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिए सर्दियों के सीजन में नवंबर से जनवरी माह तक कृत्रिम बारिश का होना बहुत जरूरी है। इसके अलावा यातायात व्यवस्था में भी सुधार की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित किए गए मानक के अनुसार पीएम 2.5 का अधिकतम स्तर 30 और केंद्रीय नियंत्रण प्रदूषण बोर्ड द्वारा निर्धारित किए गए मानक के अनुसार अधिकतम स्तर 50 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर होना चाहिए।
जरूरी हैं यह सावधानियां :-
1- चौराहों पर बेहतर किया जाए यातायात प्रबंधन
2- चौराहों पर ठहराव के दौरान बंद रखें वाहन का इंजन
3- धूल भरी और निर्माणाधीन सड़कों पर नियमित हो जल छिड़काव
4- चौराहों पर किया जाए फव्वारों का संचालन
5- सांस के मरीज सुबह-शाम टहलने से बनाएं दूरी
6- नाक के ऊपर से मास्क लगाएं
7- सांस की समस्या बढ़ने पर तुरंत चिकित्सक से लें सलाह
सर्दियों की शुरुआत में अचानक हवा रुक जाती है तो धुंध हो जाती है। हालांकि दीपावली पर हुई आतिशबाजी से भी वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई है। जब भी वायु प्रदूषण होगा तो सीओपीडी के मरीज, कोरोना की वजह से जिन व्यक्तियों को फाइब्रोसिस हुआ है, उनको सांस की समस्या बढ़ने की आशंका हो जाती है। यह मरीज ऐसी जगह न जाएं जहां धुंआ हो। सुबह-शाम घर से बाहर न निकलें। दोपहर में जब धुंध छंट जाती है, तब टहल सकते हैं। सांस की समस्या होने पर यह मरीज जिस दवा को पहले से ले रहे हैं, उसकी मात्रा बढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में चिकित्सक की सलाह बहुत आवश्यक है।