भारत :-पहली मिडगेट पनडुब्बी बनकर तैयार है. इसे मझगांव डॉक शिपयार्ड लिमिटेड बनाया है। इसका नाम एरोवाना है। इसकी डिजाइन और निर्माण दोनों ही MDL ने किया है।
इसका फायदा सिर्फ समुद्री जांच-पड़ताल में ही नहीं बल्कि चुपचाप समंदर के अंदर युद्ध लड़ने की काबिलियत और क्षमता को बढ़ाना भी है। यह अंडरवाटर वारफेयर टेक्नोलॉजी का पुख्ता प्रमाण है।इसके जरिए कम कमांडो के साथ किसी भी तरह का मिलिट्री ऑपरेशन या खुफिया मिशन किया जा सकता है।
क्या होती हैं मिडगेट सबमरीन?
मिडगेट सबमरीन आमतौर पर 150 टन के अंदर की होती है. इसमें एक, दो या कभी-कभी छह या 9 लोग बैठकर किसी मिलिट्री मिशन को अंजाम दे सकते हैं. ये छोटी पनडुब्बी होती है। इसमें लंबे समय तक रहने की व्यवस्था नहीं होती। यानी कमांडो इसमें बैठकर जाएं और मिशन पूरा करके वापस आ जाएं।
किस काम आती हैं ये पनडुब्बियां?
आमतौर पर इनका इस्तेमाल कोवर्ट ऑपरेशन के लिए होता है। ये किसी भी बंदरगाह पर पेनेट्रेशन के काम आती हैं। ये मिशन कम समय के लिए तेजी से पूरा करने के लिए होते हैं. इसलिए ऐसी छोटी पनडुब्बियों का इस्तेमाल करते हैं।ताकि दुश्मन को इनके आने का पता आसानी से न चल पाए।
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