राजौरी (जम्मू कश्मीर ):-जम्मू कश्मीर में राजनीतिक उथल पुथल और आतंकी हिंसा की वारदातों के बीच एक खामोश आंदोलन चल रहा है |जिसकी नींव भी महिला के नाम रही और जिस की जीत भी आज महिलाओं के नाम है | इस आंदोलन का नाम उम्मीद है | 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के ज़रिए देश में ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आजीविका बढ़ाने का फैसला लिया तो जम्मू-कश्मीर में भी इस मिशन की शुरुआत हुई | नाम रखा गया उम्मीद और मिशन ग्रामीण महिलाओं की आजीविका बढ़ाने में पूरी मद्द करना | योजना 125 ब्लॉकों में शुरू हुई तो बड़ी संख्या में महिलाएं आगे आई और इसके साथ जुड़ने लगी |राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत लागू की जा रही उम्मीद जैसी ग्रामीणआजीविका योजनाओं के बारे में लाभार्थियों, विशेषकर लड़कियों को जागरूक करने के लिए वीरवार को जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ब्लॉक बुद्धल केे प्रतिभागियों से स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) बनाने का आग्रह किया गया। ताकि वे स्थायी आजीविका मोड और वित्तीय सहायता के लिए परेशानी मुक्त पहुंच के माध्यम से अपनी घरेलू आय में वृद्धि कर सकें।कार्यक्रम प्रबंधक कामरान हनीफ ने बताया कि प्रखंड में अब तक 156 महिला स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं | जिनकी अपनी बचत और क्रेडिट लिंकेज रु 2 करोड़ रुपए विभिन्न वित्तीय संस्थानों से है। इस अवसर पर सरपंच फारूक इंकलाबी, राशिद शाहीन उपस्थित थे।