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जदयू ने शाहनवाज हुसैन के लिए दोनों दरवाजे किए बंद; बिहार में भाजपा की सूची के लिए धड़कनें बढ़ीं

बिहार:- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड ने लोकसभा चुनाव के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में मिली सभी 16 सीटों के प्रत्याशी एक बार में घोषित कर दिए। किसी टूट किसी भगदड़ नहीं बल्कि कुछ तकनीकी कारणों से पेच फंसा था।

उस पेच का समाधान नहीं हो सका। अब भारतीय जनता पार्टी भी बिहार में एनडीए के खाते से आयी अपनी सभी 17 सीटों के लिए एकमुश्त प्रत्याशी घोषित कर दे तो चौंकाने वाली बात नहीं होगी। चौंकाने वाला होगा पूर्व केंदीय मंत्री और राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन का नाम। क्योंकि, उनकी दावेदारी की भागलपुर और किशनगंज सीटें जदयू के खाते में दे दी गई थीं। अब पार्टी को जदयू नहीं अपने पास तय करना होगा कि क्या भाजपा एक प्रखर अल्पसंख्यक चेहरे को दरकिनार करना चाह रही है? उनके बाकी विकल्प बंद हैं इसलिए भी चर्चा ज्यादा है।

पिछली बार इंतजार करते रहे, बीच में मंत्री बने

लोकसभा चुनाव में उनकी दावेदारी 2019 में भी थी। तब भी भागलपुर और किशनगंज सीट भाजपा ने जदयू के खाते में डाल दी थी। भाजपा पहले भागलपुर में दबदबा रखती थी, लेकिन जदयू के खाते में बिहार की इस महत्वपूर्ण सीट के जाने के बाद से पार्टी यहां दमखम में पिछड़ती गई। अश्विनी चौबे भी वहां से निकल गए। उन्हें बक्सर से मौका मिला और सांसद भी बने, फिर केंद्र में मंत्री भी। इधर भागलपुर में लगातार सक्रियता दिखाने के बाद भी जब सैयद शाहनवाज हुसैन को कुछ नहीं मिला तो 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद बनी बिहार की एनडीए सरकार में उद्योग मंत्री की भूमिका मिली। वह विधान परिषद् के जरिए सरकार में लाए गए। अरसे बाद या शायद पहली बार बिहार में उद्योग विभाग की चर्चा होने लगी। इससे सैयद शाहनवाज हुसैन का कद वापस ठीक हो रहा था। तभी सरकार गिर गई। फिर सरकार पिछले 28 जनवरी को वापस तो आयी, लेकिन उन्हें विधान पार्षद रहते हुए भी मंत्री नहीं बनाया गया। जब विधान परिषद् के लिए उनसे नामांकन नहीं कराया गया और राज्यसभा में भी मौका नहीं मिला तो मान लिया गया कि एनडीए के सीट बंटवारे में भागलपुर या किशनगंज सीट भाजपा अपने पास रखे। यह भी नहीं हुआ। फिर भी जदयू से कुछ समझौते की चर्चा चल रही थी और इस नाम पर बहुत कुछ अटका था।समझौता उसी तरह का था जैसे सुनील कुमार पिंटू को सीतामढ़ी से जदयू ने प्रत्याशी बनाया था। अब जदयू ने अपने प्रत्याशी घोषित कर भागलपुर या किशनगंज से उनकी संभावना समाप्त कर दी है।

भागलपुर से ज्यादा किशनगंज में आते काम

पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटें एनडीए के नाम रही थीं। सिर्फ जदयू के खाते से किशनगंज सीट पर हार हुई थी। किशनगंज में कांग्रेस के डॉ. मो. जावेद को 3,67,017 वोट मिले थे, जबकि जदयू प्रत्याशी सैयद महमूद अशरफ को 3,32,551 वोटों से संतोष करना पड़ा था। इस क्षेत्र में शाहनवाज हुसैन मेहनत करते रहे हैं और सीएम नीतीश कुमार के साथ भी यहां मंच शेयर करते रहे हैं। भागलपुर नहीं तो किशनगंज से वह उम्मीद लगाए बैठे थे, हालांकि बातचीत में खुद को उन्होंने खुद को पार्टी का सिपाही बताते हुए इस विषय में कुछ भी बोलने से इनकार किया। किशनगंज से जदयू ने इस बार मुजाहिद आलम को मौका दिया है। प्रत्याशी बदलने की चर्चा से भी यहां शाहनवाज का नाम चल पड़ा था। वैसे ऐसा माना जा रहा था कि भागलपुर से भाजपा उन्हें इस बार मौका देगी लेकिन यह सीट पिछली बार की तरह जदयू में चली गई। जदयू ने दोबारा अयज कुमार मंडल को यहां से प्रत्याशी घोषित किया है। पिछली बार उन्हें यहां 6,18,254 वोट मिले थे, जबकि हारने वाले राजद के शैलेश कुमार मंडल उर्फ वुलो मंडल को 3,40,634 वोट मिले थे।

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