नई दिल्ली :- इंडिया में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री (Mutual Fund Industry) 50 लाख करोड़ रुपये की हो गई है। लेकिन, इसमें महिला फंड मैनेजर्स की संख्या एक साल से 42 पर अटकी हुई है। यह इंडस्ट्री में फंड मैनेजर्स की कुल संख्या का 10 फीसदी भी नहीं है। फरवरी 2024 में फंड मैनेजर्स की कुल संख्या बढ़कर 473 हो गई। यह एक साल पहले 428 थी। फंड मैनेजर्स के टैलेंट पूल के सोर्स पारंपरिक रूप से रिसर्च एनालिस्ट्स रहे हैं। इनमें से ज्यादातर ब्रोकरेज फर्मों से आए हैं। एडलवाइज एसेट मैनेजमेंट कंपनी की सीईओ राधिका गुप्ता का कहना है कि महिला फंड मैनेजर मिलना मुश्किल है। इसकी वजह यह है कि ब्रोकरेज फर्मों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या बहुत कम है। स्टॉक मार्केट्स और ब्रोकरेज फर्मों को हमेशा पुरुषों की दुनिया माना जाता रहा है।
परिवार के प्रति जिम्मेदारी बड़ी वजह
केनरा रोबेको म्यूचुअल फंड के हेड (इक्विटी) श्रीदत्त भानवालदर ने कहा कि अगर टैलेंट पूल में ज्यादातर पुरुष हैं तो फिर ऐसी स्थिति की कल्पना करना मुश्किल है, जिसमें कई महिला फंड मैनेजर्स होंगी। एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि बतौर रिसर्च एनालिस्ट्स जब महिलाएं करियर में ग्रोथ के साथ फंड मैनेजर बनने की शर्तें पूरी करने लायक होती हैं तब तक उनकी शादी हो जाती है। यूटीआई म्यूचुअल फंड की पूर्व सीनियर फंड मैनेजर स्वाति कुलकर्णी ने कहा, “परिवार के लिहाज से देखने पर आज भी महिलाओं पर निर्भरता बहुत ज्यादा है। बच्चे छोटे होने पर कई बार भावनात्मक रूप से यह जरूरी हो जाता है।”