नई दिल्ली। ग्लोबल ब्रोकरेज गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने भारतीय बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ के सामने कई चुनौतियों का जिक्र किया है। उसका कहना है कि अब ये पहले की तरह लुभावने नहीं रहे और इनकी चमक लगातार कम हो रही है। गोल्डमैन सैक्स ने बताया कि अब लोग PPF और स्मॉल सेविंग्स जैसी सरकारी योजनाओं को काफी पसंद कर रहे हैं। स्टॉक मार्केट भी निवेश के लिहाज से अच्छे विकल्प के रूप में सामने आया है, जिसका खामियाजा बैंक डिपॉजिट को भुगतना पड़ रहा है।
गोल्डमैन सैक्स ने अपने कवरेज में बैंकों के लिए कमाई का अनुमान वित्त वर्ष 2025 के लिए 5 फीसदी और वित्त वर्ष 2026 के लिए 2 फीसदी कम भी कर दिया है। ग्लोबल ब्रोकरेज ने यह भी बताया कि बैंक इन चुनौतियों से किस तरह से उबर सकते हैं। उसने कहा, ‘हमारा मानना है कि अगर बैंक डिपॉजिट को आकर्षक बनाना है, तो ग्राहकों को लुभावनी ब्याज दर ऑफर करनी पड़ेगी।’
गोल्डमैन सैक्स ने बैंकों की लोन से जुड़ी चुनौतियों का भी जिक्र किया। खासकर, इनसिक्योर्ड पर्सनल लोन का, जो पिछले तीन साल में चार गुना बढ़ गया। बैंकों की नेट फाइनेंशियल एसेट में भी बड़ी गिरावट दिखी है, जो जीडीपी के 11 फीसदी से घटकर 5 फीसदी पर आ गई है।
बैंक डिपॉजिट को सरकार के स्मॉल सेविंग्स इनवेस्टमेंट्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है, जिसकी कुल डिपॉजिट पूल में हिस्सेदारी 20 फीसदी हो गई है। इसमें बैंक डिपॉजिट के मुकाबले ज्यादा ब्याज भी मिलता है।
यही वजह है कि गोल्डमैन सैक्स ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और ICICI बैंक पर अपनी रेटिंग घटा दी है, जबकि यस बैंक और IDFC Bank को बेचने की सलाह दी है। इसने बैंकिंग सेक्टर के अर्निंग अनुमानों में भी कटौती की है। गोल्डमैन सैक्स का मानना है कि नियर टर्म में फाइनेंशियल सेक्टर के लिए मजबूत ग्रोथ और मुनाफे वाला दौर खत्म हो गया है और अब बड़ी चुनौतियां सामने आने वाली हैं।