नई दिल्ली :- फिच रेटिंग्स ने भारत के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। रेटिंग एजेंसी ने शुक्रवार को कहा कि राजकोषीय घाटे में थोड़ी कमी से भारत के सॉवरेन क्रेडिट प्रोफाइल में कोई खास बदलाव नहीं होता है। एजेंसी के अनुसार सरकार की ओर से घाटे में कमी पर जोर दिए जाने से मध्यम अवधि में कर्ज-जीडीपी अनुपात को स्थिर करने में मदद मिलेगी।
फिच रेटिंग्स के निदेशक (सावरेन रेटिंग्स) जेरेमी जूक ने बजट के बाद टिप्पणी में कहा कि अगले पांच साल में भारत सरकार का कर्ज-जीडीपी अनुपात मोटे तौर पर जीडीपी के 80 प्रतिशत से कुछ ऊपर रहेगा। यह क्रमिक घाटे में जारी लगातार कमी पर आधारित है, साथ ही सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 10.5 प्रतिशत की मजबूत सांकेतिक वृद्धि है।
गुरुवार को संसद में पेश अंतरिम बजट 2024-25 में, सरकार ने अपने चालू वर्ष के राजकोषीय घाटे को पहले के 5.9 प्रतिशत से घटाकर 5.8 प्रतिशत कर दिया। राजकोषीय घाटा सरकार के राजस्व और व्यय के बीच का अंतर है, जिसके 2024-25 में घटकर 5.1 प्रतिशत और 2025-26 तक 4.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। फिच ने कहा कि ये आंकड़े चुनावी साल में राजकोषीय घाटे को कम रखने की इच्छा को दर्शाते हैं।