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OTP का झंझट ही नहीं, Google के एंप्लॉयीज ऐसे लॉग इन करते हैं अपने सिस्टम में

नई दिल्ली :- आमतौर पर ऑफिस के सिस्टम में लॉग-इन करने के लिए टू-फैक्टर अथेंटिकेशन प्रोसेस होता है। इस प्रकार के सिक्योरिटी सिस्टम में ओटीपी के जरिए एंप्लॉयीज सिस्टम में लॉन इन करते हैं लेकिन गूगल ( Google ) के एंप्लॉयीज ओटीपी का इस्तेमाल नहीं करते बल्कि इसके लिए वे फिजिकल सिक्योरिटी कीज का इस्तेमाल करते हैं।

कैसे लॉग इन करते है Google Employees

 

गूगल एंप्लॉयीज अपने ऑफिशियल सिस्टम में लॉग इन करने के लिए सिक्योरिटी कीज का इस्तेमाल करते हैं। सिक्योरिटी कुंजी एक यूएसबी डिवाइस है जो उनके लैपटॉप से कनेक्ट होती है। यह फिजिकल टच पर काम करता है। सिक्योरिटी कुंजी सेटअप प्रोसेस के दौरान दो यूनिक कोड तैयार करता है-एक प्राइवेट कुंजी और एक पब्लिक कुंजी। पब्लिक कुंजी गूगल के सर्वर पर स्टोर रहता है जबकि प्राइवेट कुंजी सिक्योरिटी कुंजी पर स्टोर रहता है जिसे रिमोटली एक्सेस नहीं किया जा सकता है।

 

जब कोई एंप्लॉयी लॉग इन करता है तो गूगल उनके सिक्योरिटी की पर एक चैलेंज कोड भेजता है। यूजर्स को साइनिंग प्रोसेस शुरू करने के लिए कुंजी को टच करना होता है। यह कुंजी गूगल की तरफ से आए चैलेंज को वेरिफाई करता है और फिर इसे प्राइवेट कुजीं के साथ साइन करता है। साइन किया हुआ रिस्पांस वापस गूगल के सर्वर पर भेजा जाता है। जो पब्लिक कुंजी स्टोर होती है, उसके जरिए यूजर की आईडेंटिटी वेरिफाई की जाती है

 

Google Security Key से कैसे कम होता है रिस्क

गूगल के एंप्लॉयीज जिस सिक्योरीज कुंजी से लॉग इन करते हैं, उससे रिस्क कम होता है। सिक्योरिटी कुंजी फिजिकल कॉन्टैक्ट पर काम करता है क्योंकि इसे इंसान इस्तेमाल करते हैं ना कि रिमोट अटैकर। चूंकि कुंजी फिजिकल ऑब्जेक्ट है तो एक हैकर के लिए इसे हासिल करना आसान नहीं पाता है। सिक्योरिटी कुंजी फिशिंग और ओटीपी को लेकर जो रिस्क होता है, उसे लेकर सेफ्टी मुहैया कराते हैं। इस प्रकार गूगल अपने सिस्टम की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

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