पटना (बिहार):- उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने के कथित प्रयास में राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह की जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से विदाई हो गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने सूत्रों से यह पक्की सूचना मिली थी कि ललन सिंह जदयू के दर्जन भर विधायकों को तोड़कर तेजस्वी की सरकार बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
जानकारी यह भी मिली कि 20 दिसंबर को एक मंत्री के कार्यालय में इन विधायकों की बैठक हुई। बैठक में ललन सिंह भी थे। विधायकों का कहना था कि 45 सदस्यीय जदयू विधायक दल में विभाजन के लिए 31 विधायकों का एकसाथ आना जरूरी है। कम संख्या में अलग होने पर सदस्यता जा सकती है।
विधायकों को दिया मंत्री पद का प्रलोभन
तर्क यह दिया गया कि विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी राजद के हैं। वे विधानसभा में जदयू विधायकों के गुट को मान्यता देकर सदस्यता बचा लेंगे। ऐसा करने पर इन विधायकों को मंत्री पद का भी प्रलोभन दिया गया। सुरक्षा का यह आश्वासन भी दिया गया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते वह अलग गुट के विधायकों के विरूद्ध कार्रवाई के लिए विधानसभा अध्यक्ष को नहीं लिखेंगे, लेकिन योजना जमीन पर उतरती, इससे पहले ही नीतीश ने विधायकों से संपर्क किया। उन्हें मना लिया।
जिस मंत्री के कक्ष में कथित बैठक हुई थी, उन्हें भी तलब किया गया। मुख्यमंत्री ने मंत्री को याद दिलाया कि उनके साथ कितना घनिष्ठ संबंध रहा है। उन्होंने पूछा-आप हमसे अधिक उन लोगों (तेजस्वी यादव और ललन सिंह) के कबसे करीबी हो गए। मंत्री ने प्रतिवाद किया। उनका कहना था कि उनकी जानकारी में ऐसी कोई बैठक नहीं हुई है। हम दो सौ परसेंट आपके साथ हैं।