पटना (बिहार):- हिंदीभाषी तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के हाथों करारी शिकस्त के तत्काल बाद इंडी एलायंस की बैठक दिल्ली में बुलाने की कांग्रेस ने घोषणा की थी तो तृणमूल प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसकी जानकारी से इनकार कर दिया। समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश में कांग्रेसी प्रत्याशियों को कई जगह परेशान करने के बाद इंडी एलायंस की बैठक से दूरी बना ली। यहां तक तो ठीक था, लेकिन विपक्षी दलों को पहली बार पटना में बुलाकर 23 जून को बैठक कराने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दिल्ली वाली बैठक से दूरी का असर अंतत: दिख गया। छह दिसंबर को दिल्ली में होने वाली बैठक की तारीख टलकर छह दिसंबर की जगह 17 दिसंबर हो गई। अब नीतीश ने भी इसमें जाने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही कांग्रेस से उनका मुकाबला अब बराबरी का हो गया है।
23 जून बाकी को याद, जदयू को 12 जून भुलाए नहीं भूलता
23 जून को पूरे देश का ध्यान बिहार की राजधानी पटना पर था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संयोजन में राजनीतिक दलों की बड़ी बैठक यहां हो रही थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ ऐसा महाजुटान पहली बार हुआ था। लेकिन, इस बैठक में उम्मीद के बावजूद नीतीश कुमार को इसका संयोजक नहीं बनाया गया। वह स्वाभाविक रूप से संयोजक थे और कई दलों के नेताओं ने उनके संयोजन की प्रशंसा की, लेकिन पद नहीं दिया गया। मानें या नहीं, लेकिन एक वजह यह भी थी कि 23 जून को हुई बैठक में राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का बड़ा योगदान अचानक हो गया था। दरअसल, जब नीतीश कुमार ने पहली बार बैठक बुलाई थी तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ ही नंबर वन नेता राहुल गांधी की अनुपस्थिति की खबर सामने आयी।