नई दिल्ली :- संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत, अपने दोस्त इजराइल के खिलाफ खुलकर खड़ा हो गया है और भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में सीरियाई गोलान पर जारी इजरायली कब्जे पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए, पेश किए गए एक प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। इस प्रस्ताव में मांग की गई थी, कि इजराइल सीरियाई गोलाम से हट जाए, जहां उसने कब्जा कर रखा है, जिसे इजराइल ने जून 1967 में 6 दिनों तक चले युद्ध के दौरान, दक्षिण-पश्चिम सीरिया में गोलान हाइट्स क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था।
इजराइल के खिलाफ भारत का मतदान
‘द सीरियन गोलान’ शीर्षक वाला प्रस्ताव मंगलवार को 193 सदस्यीय यूएनजीए में पेश किया गया था और 91 सद्य देशों ने इस प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया, जबकि आठ देशों ने प्रस्ताव के विपक्ष में वोट किया, जबकि 62 सदस्य देश वोटिंग के दौरान गैर-हाजिर रहे। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, इज़राइल, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया उन देशों में से थे, जिन्होंने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया।
भारत के अलावा, प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले देशों में बांग्लादेश, भूटान, चीन, मलेशिया, मालदीव, नेपाल, रूस, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शामिल थे। प्रस्ताव में चिंता व्यक्त की गई है, कि इस मामले पर संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न प्रस्तावों के विपरीत, इज़राइल सीरियाई गोलान से पीछे नहीं हटा है।
इजराइली कब्जे का मामला क्या है?
दरअसल, साल 1981 में, इजरायली संसद ने गोलान हाइट्स पर एकतरफा संप्रभुता की घोषणा करते हुए, एक कानून पारित किया। इसने 1981 के इजरायली निर्णय को अमान्य घोषित कर दिया और यहूदी राज्य से अपना निर्णय रद्द करने का आह्वान किया।
प्रस्ताव में 1967 से पहले की सीमाओं पर कब्जे वाले सभी सीरियाई गोलान से इजरायल की वापसी का आह्वान किया गया और निर्धारित किया गया, कि “सीरियाई गोलान पर निरंतर कब्जा और इसका वास्तविक विलय एक न्यायसंगत, व्यापक और स्थायी शांति प्राप्त करने के रास्ते में एक बाधा है।” इसने यह भी उम्मीद जताई, कि सीरिया पर शांति वार्ता जल्द ही फिर से शुरू होगी।
इज़राइल ने 1967 में छह दिवसीय युद्ध जीता था और गोलान क्षेत्र को अपने नियंत्रण में ले लिया था। इसके अलावा, इजराइल ने अपने क्षेत्र के एक बड़े विस्तार में, फिलिस्तीन में सिनाई, वेस्ट बैंक और गाजा और गोलान हाइट्स पर कब्जा कर लिया। इजराइल ने 1979 में एक शांति संधि के दौरान सिनाई को मिस्र के नियंत्रण में लौटा दिया और 2005 में गाजा का नियंत्रण छोड़ दिया, जिसके एक साल बाद हमास ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।