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घर के मंदिर को सही जगह स्थापित करने से आती है बरकत

वास्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर को किसी सही जगह स्थापित करना चाहिए। अक्‍सर देखने में आता है कि कुछ लोग जगह की कमी की वजह से पूजाघर को स्‍टोर रूम में बना देते हैं। ऐसा करना बिल्‍कुल भी सही नहीं है। भूलकर भी पूजा की अलमारी ऐसे स्‍थान पर नहीं होनी चाहिए जहां पर फालतू सामान या फिर घर का कबाड़ा रखा रहता है।

अगर आपके घर में जगह की कमी है तो उत्‍तर-पूर्व कोने में एक लकड़ी की साफ चौकी स्‍थापित करके वहां पर अपना मंदिर सजा सकते हैं। मगर ऐसे स्‍थान पर मंदिर न बनाएं जहां पर और फालतू सामान भी रखा हो।

लोग रोजाना अपने मंदिर को फूलों से सजाते हैं। यह अच्‍छी बात है कि भगवान की पूजा में फूल जरूरी माने जाते हैं। लेकिन देखने में आता है कि कुछ लोग पूजा में चढ़े हुए फूल भी मंदिर के किसी कोने में रखते जाते हैं। यह अच्‍छी आदत नहीं है। वास्‍तु के हिसाब से यह नकारात्‍मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है।

घर में सूखे फूल को रखना यानी दरिद्रता को निमंत्रण देने के समान है। इससे अकाल मृत्‍यु, मंगल दोष या फिर विवाह में विलंब जैसी समस्‍याएं पैदा हो सकती हैं।

पूजाघर में मूर्तियों को लेकर यह नियम बताया गया है कि गृहस्‍थ लोगों को बड़ी मूर्तियां मंदिर में नहीं लगानी चाहिए। आप इसके स्‍थान पर तस्‍वीरें या फिर बहुत छोटी मूर्तियां रख सकते हैं और किसी भी भगवान की एक से अधिक तस्‍वीर या फिर प्रतिमा न रखें।

पूजाघर में भूलकर भी अपने पूर्वजों की तस्‍वीर नहीं लगानी चाहिए। शास्‍त्रों में इसे सही नहीं माना गया है। पूर्वजों की तस्‍वीरें मंदिर में लगाने के बजाए आप अपने घर की दक्षिणी दीवार पर लगाएं। ऐसा करने से पितर आप पर प्रसन्‍न होते हैं।

वास्तु के अनुसार, पूजा घर में कभी भी एक ही देवी-देवता की अधिक मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। वास्तु में इसे अशुभ माना गया है। इसके अलावा मंदिर में कभी भी रौद्र रूप वाली मूर्तियां भी नहीं रखनी चाहिए। ऐसी तस्वीर या मूर्ति रखने से अनिष्ट होता है।

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