नई दिल्ली:- भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार अप्रैल जून तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा 7 गुना बढ़कर 9.2 बिलियन डॉलर हो गया जबकि पिछली तिमाही में यह 1.3 बिलियन डॉलर था।
आरबीआई ने कहा कि तिमाही-दर-तिमाही आधार पर सीएडी में वृद्धि मुख्य रूप से उच्च व्यापार घाटे के साथ-साथ शुद्ध सेवाओं में कम अधिशेष और निजी हस्तांतरण प्राप्तियों में गिरावट के कारण है। वहीं अगर सालाना आधार पर देखें तो इसमें कमी आई है।
वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही अप्रैल-जून में चालू खाते का घाटा सालाना आधार पर घटकर 9.2 अरब डॉलर रह गया। वहीं एक साल पहले 2022-23 की इसी तिमाही में चालू खाते का घाटा 17.9 अरब डॉलर या जीडीपी का 2.1 फीसदी था। इस तरह सालाना आधार पर कमी आई है।
चालू खाते के घाटे का अर्थ है जब किसी देश द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य उसके द्वारा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य से अधिक हो जाता है। इसे चालू खाता घाटा कहा जाता है। चालू खाता किसी देश के विदेशी लेनदेन का प्रतिनिधित्व करता है और पूंजी खाते की तरह देश के भुगतान संतुलन बीओपी का एक घटक है। चालू खाते का घाटा बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ता है। इससे सार्वजनिक खर्च में भारी कमी आती है जिससे सुस्ती आती है।
सीएडी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में विदेश भेजी गई कुल राशि और विदेश से प्राप्त राशि के बीच अंतर को मापता है। आरबीआई के मुताबिक हालांकि वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था की मजबूत स्थिति को दर्शाने वाला सीएडी पिछली तिमाही जनवरी-मार्च की तुलना में बढ़ा है। उस दौरान यह 1.3 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 0.2 फीसदी था।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि तिमाही आधार पर सीएडी में बढ़ोतरी का कारण सेवा क्षेत्र में शुद्ध अधिशेष में कमी और निजी हस्तांतरण प्राप्तियों में गिरावट है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि तिमाही आधार पर शुद्ध सेवा प्राप्तियों में कमी आई है। इसका मुख्य कारण कंप्यूटर यात्रा और व्यावसायिक सेवाओं के निर्यात में गिरावट है।
यह वार्षिक आधार पर अधिक है। समीक्षाधीन तिमाही में शुद्ध विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 5.1 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले जून तिमाही में 13.4 अरब डॉलर था। शुद्ध विदेशी पोर्टफोलियो निवेश 15.7 बिलियन डॉलर रहा जबकि एक साल पहले जून तिमाही में शुद्ध बहिर्वाह 14.6 बिलियन डॉलर था।