नई दिल्ली:- भारत रत में कैंसर से असमय जान गंवाने वालीं 63 प्रतिशत महिलाओं को स्क्रीनिंग जांच और रिस्क फैक्टर को कम कर बचाया जा सकता था। वहीं 37 प्रतिशत को समय पर उपचार देकर बचाया जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कैंसर से मरने वालीं लगभग 6.9 मिलियन महिलाओं की जान बचाई जा सकती थी। वहीं 4.03 मिलियन का इलाज किया जा सकता था।
रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भले ही पुरुषों में कैंसर का खतरा अधिक होता है जो दोनों जेंडर को प्रभावित करता है। लेकिन महिलाओं में कैंसर के मामले और मृत्यु दर अधिक है। वैश्विक स्तर पर, कैंसर के नए मामलों में 48% और कैंसर से होने वाली मौतों में 44% महिलाएं शामिल हैं। ऐसा तब है जब महिलाओं में होने वाले कुछ कैंसर जैसे- स्तन और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर अधिक रोकथाम योग्य और उपचार योग्य होते हैं।
संसद में पेश आंकड़ों के मुताबिक, अनुमान है कि 2025 में कैंसर मरीजों की संख्या 15 लाख से ज्यादा हो जाएगी। 2020 के आंकड़ों से पता चलता है कि प्रति एक लाख की आबादी में से 94.1 पुरुषों और 103.6 महिलाओं को कैंसर होता है।
पुरुषों को मुंह फेफड़ा जीभ और पेट में कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। कैंसर के 36 प्रतिशत मामले इन्हीं अंगों में पाए जाते हैं। महिलाओं को स्तन गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय अंडाशय और फेफड़ा में कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। कैंसर के 53 प्रतिशत मामले इन अंगों में पाए जाते हैं।
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