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दुद्धी के तहसीलदार ने सरकारी स्कूल में कराया अपने बेटी का दाखिला

सोनभद्र उत्तर प्रदेश दुद्धी से शेषपाल के रिपोर्ट – 

सोनभद्र (उत्तर प्रदेश):- दुद्धी तहसील के अंतर्गत वर्तमान में तैनात तहसीलदार ज्ञानेंद्र कुमार यादव ने उन्होंने बोला कि शिक्षा एक अनमोल रत्न है। शिक्षा के बिना मनुष्य की जीवन अधूरा माना जाता है। शिक्षा के लिए आज लोग बड़े हाईटेक स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए लाखों रुपये खर्च करते हैं वहीं सरकारी स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठाने की खबरें अक्सर आती रहती है। सरकारी नौकरी एवं धनाढ्य लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने से परहेज करते हैं। लोगों का मानना होता है कि सरकारी स्कूलों मेें पढ़ाई का स्तर संतोषजनक नहीं होता है।

लोग जहां प्राइवेट स्कूलों को ज्यादा तवज्जो दे रहें है वहीं एक पहल मिसाल के तौर पर पेश किया जा सकता है। दुद्धी तहसीलदार का यह पहल कौतुहल का विषय बना हुआ है। यहां के तहसीलदार ने अपने बच्चे का दाखिला प्राइवेट स्कूल के बजाये सरकारी प्राथमिक विद्यालय दुद्धी प्रथम में कराया है जो सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित पैसे वाले परिवारों के लिए एक मिसाल के तौर पर चर्चा में तेजी से बनकर उभरी है।

तहसीलदार ज्ञानेन्द्र कुमार यादव अभी हाल ही में दुद्धी में तहसीलदार के पद पर कार्यभार ग्रहण किया है।उन्होंने दुद्धी तहसील के तहसीलदार के पद पर कार्यभार संभालने के पखवाड़े भर के बाद ही आज सोमवार को अपनी बेटी श्रेया का कक्षा 4 में दाखिला बीआरसी परिसर स्थित सरकारी स्कूल में कराया है। उन्होंने अपनी बेटी की प्राथमिक स्तर की पढ़ाई के लिए सरकारी प्राथमिक विद्यालय को चुना है।

इस पहल से अब लगता है कि सरकारी स्कूलों की पढ़ाई पर उठ रही उंगलियां थम जाएंगी। जाहिर है कि जिस स्कूल में तहसीलदार के बच्चे पढ़ेंगे, उस स्कूल की शिक्षा का स्तर सुधरने की गुंजाइश बढ़ जाती है।

प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय बीआरसी परिसर के प्रधानाध्यापक ओम प्रकाश ने बताया कि दुद्धी तहसीलदार ने अपनी बेटी का कक्षा 4 में नामांकन कराकर मिशाल पेश किया है। इससे अन्य सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को एक महत्वपूर्ण सन्देश जाएगा और लोग सरकारी स्कूलों की ओर आकर्षित होंगे।हम अपने विद्यालय परिवार की ओर से तहसीलदार दुद्धी को बधाई देते हैं कि उन्होंने अपनी बेटी के लिए मेरे सरकारी स्कूल को चुना।

बता दें कि इसके पूर्व भी दुद्धी में तहसीलदार के पद पर कार्यरत थे तब भी इन्होने अपनी बेटी का एडमिशन कक्षा 1 में कराया था, इसके बाद इनका स्थानांतरण घोरावल होने के बाद भी इन्होने सरकारी स्कूल को ही अपनी बेटी का एडमिशन कराया था। अब ज़ब पुनः इनकी तैनाती दुद्धी तहसीलदार के पद पर हुई तो इन्होने पुनः सरकारी स्कूल में बेटी का दाखिला कराकर एक मिशाल पेश किया हैं।

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