रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग:- महाराष्ट्र में तीसरे चरण में जिन 11 सीटों पर मतदान चल रहा है, उनमें रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग की हाई-प्रोफाइल सीट भी शामिल है। यहां केंद्रीय मंत्री और पूर्व सीएम नारायण राणे का मुकाबला दो बार के शिवसेना (यूबीटी) सांसद विनायक राउत के साथ है।
तटीय महाराष्ट्र का यह इलाका दशकों से शिवसेना की लाइफलाइन माना जाता रहा है। शिवसेना में टूट के बाद यह पहला चुनाव है, इसलिए पहले तो यहां की दावेदारी को लेकर भाजपा और शिवसेना (एकनाथ शिंदे) में काफी समय तक खींचतान हुई। लेकिन, यह बाजी जीतने में आखिरकार बीजेपी सफल हुई।
रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग में हैट्रिक बनाम 3 लाख से जीत
विनायक राउत जहां इस सीट से हैट्रिक का दावा कर रहे हैं। वहीं नारायण राणे का कहना है कि उनकी जीत का अंतर कम से कम 3 लाख वोटों का रहेगा। उन्होंने कहा, ‘उसको (विनायक राउत) हैट्रिक का मतलब मालूम नहीं, कभी बैट पकड़ा है क्या क्रिकेट का…वो दो बार चुनकर आए ना इससे पहले, मोदीजी का नाम, बैनर, पोस्टर लगाके….आज जीत के बताओ…
राउत को उद्धव के पक्ष में ‘सहानुभूति’ पर भरोसा
राणे इसे अपना आखिरी चुनाव बता रहे हैं। राणे की वजह से यहां का मुकाबला इतना जोरदार हो गया है। क्योंकि, वह पूर्व शिवसैनिक से अब कट्टर शिवसेना (यूबीटी) विरोधी बन चुके हैं। उनके सामने यहां शिवसेना (एकनाथ शिंदे) के असंतुष्ट नेताओं की भी बड़ी चुनौती है। वहीं राउत को लगता है कि उनके नेता उद्धव ठाकरे के पक्ष में इलाके में जो सहानुभूति है, वह उनके तीसरी बार लोकसभा पहुंचने की गारंटी साबित होगी।
2019 का चुनाव परिणाम
2019 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना के विनायक राउत को यहां 50.76% वोट मिले थे। उस चुनाव में इस सीट पर उनकी टक्कर नारायण राणे के बेटे नीलेश राणे से हुई थी जो तब महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष के उम्मीदवार थे, जिन्हें 31% वोट मिले थे। इस सीट पर तब कांग्रेस का प्रत्याशी सिर्फ 7.01% वोट ले पाया था।
कोंकण क्षेत्र की सबसे बड़ी लोकसभा सीट है रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग
रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग कोंकण क्षेत्र की सबसे बड़ी लोकसभा सीट है। इस इलाके में कांग्रेस और प्रजा समाजवादी पार्टी पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी जैसे दल भी प्रभावी रहे हैं। इस चुनाव में पिछले कुछ दिनों में दोनों प्रमुख उम्मीदवारों में चुनाव प्रचार के दौरान बहुत ही ज्यादा कटुता देखने को मिली है, जिसकी वजह दोनों नेताओं का पुराना नाता एक ही पार्टी से जुड़ा होना है।
राउत का आरोप है कि राणे ऐसे नेता हैं तो कोंकण में ताकत के दम पर विरोधियों को दबाने की कोशिश करते हैं। वहीं राणे उद्धव के सांसद को निकम्मा कहते रहे हैं। पुरानी शिवसेना छोड़ने के बाद राणे इस इलाके में पहले भी अपनी ताकत दिखा चुके हैं और 2009 में उनके बेटे निलेश राणे यहां कांग्रेस के टिकट पर जीत चुके हैं। उन्होंने शिवसेना के दिग्गज सुरेश प्रभु को हराया था।
राणे के इस बार यहां से बीजेपी से उतरने से समीकरण बदल चुका है। वह मोदी सरकार में विकास की बात कर रहे हैं। चुनाव जीतने पर उद्योग और फैक्ट्रियां लगाने का वादा कर रहे हैं। क्षेत्र में उनका अपना एक मजबूत जनाधार रहा है, इसलिए इस बार इस सीट का मुकाबला दिलचस्प है।
2019 के लोकसभा चुनाव में रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग में कुल 61.69% वोट पड़े थे। इस सीट से इन दोनों उम्मीदवारों के अलावा वंचित बहुजन अघाड़ी से मारुति रामचंद्र जोशी और बीएसपी के ए राजेंद्र लाहू भी चुनाव मैदान में हैं।
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