नई दिल्ली:- विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर प्रकृति संरक्षण और महिला सशक्तिकरण दोनों का अद्भुत संदेश दिया। राजधानी दिल्ली के 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर प्रधानमंत्री ने “सिंदूर का पौधा” रोपित किया। यह पौधा केवल पर्यावरण के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक नहीं, बल्कि उस भावनात्मक जुड़ाव और सम्मान का भी प्रमाण है, जो उन्होंने हाल ही में कच्छ की अपनी यात्रा के दौरान अनुभव किया।
दरअसल, गुजरात के कच्छ क्षेत्र की यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने 1971 भारत-पाक युद्ध में साहसिक योगदान देने वाली कुछ वीरांगनाओं से मुलाकात की थी। ये महिलाएं उस संघर्ष के दौरान न केवल अपने घरों की रक्षा कर रही थीं, बल्कि सीमा क्षेत्र में सैन्य बलों की सहायता भी कर रही थीं। उनके अदम्य साहस और देशभक्ति को सम्मान देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से जब वे मिलीं, तो उन्होंने उन्हें एक विशेष उपहार दिया—”सिंदूर का पौधा”।
सिंदूर का पौधा भारत में पारंपरिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह न केवल एक औषधीय पौधा है, बल्कि विवाह, स्त्री-शक्ति और सौभाग्य का भी प्रतीक है। इन महिलाओं द्वारा प्रधानमंत्री को यह पौधा भेंट करना, एक गहरा भावनात्मक संकेत था—जो उनके विश्वास, स्नेह और आभार को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस उपहार को केवल एक प्रतीक नहीं माना, बल्कि उसे ससम्मान स्वीकार करते हुए यह संकल्प लिया कि वे इसे अपने सरकारी आवास पर रोपित करेंगे। और आज, विश्व पर्यावरण दिवस जैसे महत्वपूर्ण दिन पर उन्होंने अपने वचन को निभाया। सिंदूर का पौधा रोपित करते हुए पीएम मोदी ने ट्वीट के माध्यम से भी यह जानकारी साझा की और लिखा कि यह क्षण उनके लिए व्यक्तिगत रूप से अत्यंत भावनात्मक और प्रेरणादायक है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पर्यावरण संरक्षण केवल एक दिन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि यह एक सतत् जीवनशैली होनी चाहिए। उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि वे प्रकृति के साथ तालमेल बैठाते हुए अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव लाएं—जैसे अधिक से अधिक पेड़ लगाना, जल संरक्षण करना, प्लास्टिक का कम उपयोग करना और स्वच्छता को अपनाना।
इस अनोखे पल ने न केवल पर्यावरण के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे देश की वीर नारियों के योगदान को सम्मानपूर्वक याद रखना एक सच्चे राष्ट्रनेता की पहचान है। यह सिंदूर का पौधा आने वाले वर्षों में न केवल हरियाली देगा, बल्कि भारत की नारी शक्ति और प्रकृति प्रेम का प्रतीक भी बना रहेगा।