जम्मू-कश्मीर :- जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ केंद्र सरकार की नीति अब और अधिक आक्रामक रूप ले चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित दौरे से ठीक एक दिन पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने राज्य के पुलवामा, कुलगाम, शोपियां, बारामूला और कुपवाड़ा जिलों में ताबड़तोड़ छापेमारी कर एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
आतंक के ठिकानों पर कसा शिकंजा
NIA ने अपनी विशेष टीमों के साथ मिलकर उन ठिकानों पर छापेमारी की जहाँ से आतंकियों के लॉजिस्टिक और फाइनेंशियल नेटवर्क संचालित होने की आशंका थी। जांच एजेंसी को पहले से इनपुट्स मिले थे कि इन जिलों में कुछ स्थानीय तत्व पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के लिए सप्लाई चैन, फंडिंग और सहयोग का कार्य कर रहे हैं। इस आधार पर सोमवार सुबह से ही कई स्थानों पर एक साथ छापे शुरू कर दिए गए।
गुप्त सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई
सूत्रों के मुताबिक, यह छापेमारी पिछले कुछ महीनों से इकट्ठे किए गए इंटेलिजेंस इनपुट पर आधारित थी। इसमें स्थानीय पुलिस और सुरक्षा बलों का भी सहयोग लिया गया। इस दौरान मोबाइल फोन, लैपटॉप, दस्तावेज और संदिग्ध डिजिटल डिवाइस बरामद किए गए हैं। कई संदिग्ध व्यक्तियों से पूछताछ भी की गई है, जिनके आतंकी संगठनों से सीधे या परोक्ष रूप से जुड़े होने की आशंका है।
पीएम के दौरे से पहले सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
प्रधानमंत्री मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे से ठीक पहले की गई यह कार्रवाई सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद अहम मानी जा रही है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की आतंकी गतिविधि या सुरक्षा में चूक न हो, जांच एजेंसियां हर एंगल से संभावित खतरों को खंगाल रही हैं।
स्थानीय लोगों में मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस व्यापक छापेमारी के बाद घाटी में लोगों की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही। जहां एक ओर कुछ लोग इसे शांति बहाली और आतंक के सफाए के लिए जरूरी कदम मानते हैं, वहीं कुछ वर्गों में डर और असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है। हालांकि, प्रशासन ने साफ किया है कि आम नागरिकों को परेशान करने का कोई उद्देश्य नहीं है और यह कार्रवाई केवल संदिग्ध गतिविधियों में शामिल तत्वों के खिलाफ है।
NIA का संदेश साफ: नहीं बख्शे जाएंगे आतंकी मददगार
NIA ने अपने इस अभियान के जरिए स्पष्ट संदेश दिया है कि जो भी व्यक्ति या समूह आतंकवाद को प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन देगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। सरकार की मंशा साफ है—कश्मीर को विकास, शांति और स्थायित्व की ओर ले जाना है, और इसके लिए आतंकवाद की जड़ को खत्म करना जरूरी है।