नई दिल्ली:- केंद्र सरकार आगामी मानसून सत्र में दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार विपक्षी दलों से सहमति बनाने की कोशिश कर रही है क्योकि महाभियोग प्रस्ताव को दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पारित कराना होता है।
क्या है मामला?
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच समिति ने गंभीर आरोप लगाए हैं। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ लगे आरोप सही हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है। इस रिपोर्ट के बाद सरकार ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का फैसला किया है ।
सरकार की रणनीति
सरकार की रणनीति है कि वह विपक्षी दलों से सहमति बनाकर महाभियोग प्रस्ताव को दोनों सदनों में पारित कराए। इसके लिए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत करेंगे और उन्हें इस मुद्दे पर समर्थन देने के लिए मनाएंगे ।
महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया
महाभियोग प्रस्ताव की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं। सबसे पहले सरकार महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस राज्यसभा के सभापति को देगी। इसके बाद प्रस्ताव को दोनों सदनों में पेश किया जाएगा और दो-तिहाई बहुमत से पारित कराना होगा। यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है तो जस्टिस वर्मा को उनके पद से हटाया जा सकता है ।
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव एक गंभीर मामला है जिसमें सरकार विपक्षी दलों से सहमति बनाने की कोशिश कर रही है। यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है तो जस्टिस वर्मा को उनके पद से हटाया जा सकता है। यह मामला न्यायपालिका की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के मुद्दे पर भी सवाल उठाता है l