मध्य प्रदेश:- मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। थांदला-मेघनगर मार्ग पर स्थित संजेली रेलवे फाटक के पास बुधवार रात को एक भयानक सड़क हादसे में नौ लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा इतना भीषण था कि कार के परखच्चे उड़ गए और मौके पर ही कई लोगों ने दम तोड़ दिया। हादसे की खबर मिलते ही पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है।
हादसे का मंजर: एक भयावह टक्कर
घटना रात करीब 10 बजे की है, जब एक तेज रफ्तार ट्राला और कार की आमने-सामने की टक्कर हो गई। यह टक्कर निर्माणाधीन ओवरब्रिज के पास बने एक तीखे मोड़ पर हुई, जहां सड़क संकरी और अंधेरी थी। कार में सवार लोग कहीं शादी या पारिवारिक समारोह से लौट रहे थे, ऐसी शुरुआती जानकारी सामने आई है।
हादसे के बाद घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई। चश्मदीदों के मुताबिक, टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि कार पूरी तरह से ट्राले के नीचे दब गई। वाहन में फंसे लोगों को निकालने के लिए पुलिस और स्थानीय लोगों को घंटों मशक्कत करनी पड़ी।
प्रशासन और बचाव कार्य
हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस, एंबुलेंस और दमकल विभाग की टीमें मौके पर पहुंचीं। जेसीबी मशीन की मदद से कार के मलबे को हटाया गया और घायलों को बाहर निकाला गया। 9 लोगों की मौके पर ही मौत हो चुकी थी, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिन्हें मेघनगर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
झाबुआ जिला प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को सांत्वना देते हुए मुआवजे की घोषणा की है। पुलिस ने ट्राला चालक को हिरासत में ले लिया है और प्रारंभिक जांच में तेज गति और लापरवाही को हादसे का कारण माना जा रहा है।
सड़क सुरक्षा पर सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा व्यवस्था और निर्माणाधीन सड़कों की खामियों को उजागर कर दिया है। ओवरब्रिज निर्माण स्थल के पास कोई संकेतक बोर्ड या पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था नहीं थी, जिससे वाहन चालकों को मोड़ का अंदाज़ा नहीं लग पाया। ऐसे हादसे यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि हमारी सड़कों पर जीवन की कीमत इतनी सस्ती क्यों है?
शोक में डूबा झाबुआ
झाबुआ जिले का माहौल इस घटना के बाद बेहद गमगीन हो गया है। मृतकों में एक ही परिवार के कई सदस्य होने की आशंका जताई जा रही है। गांवों में मातम पसरा है, और शोकाकुल परिजन बिलखते नजर आ रहे हैं। प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है।
निष्कर्ष
यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक सिस्टम की विफलता और लापरवाही का परिणाम है। समय रहते यदि सड़क निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन किया गया होता, तो शायद इन नौ लोगों की ज़िंदगी बचाई जा सकती थी। अब समय है कि प्रशासन केवल मुआवजा देने तक सीमित न रहे, बल्कि सड़क सुरक्षा के प्रति ठोस कदम उठाए, ताकि ऐसे हादसे दोबारा न हों।