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बाजार की अस्थिरता के बावजूद म्यूचुअल फंड में निवेश ने बैंक FDs को पीछे छोड़ दिया

नई दिल्ली:- पिछले कुछ समय से बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर ब्याज दरें कम हो रही हैं, जिससे निवेशकों का रुझान म्यूचुअल फंड की ओर बढ़ रहा है। यह बदलाव बाजार की अस्थिरता के बावजूद देखा जा रहा है जो निवेशकों की रणनीति में बदलाव को दर्शाता है।

बैंक FDs पर ब्याज दरें कम होने का कारण

बैंक FDs पर ब्याज दरें कम होने का मुख्य कारण आर्थिक परिदृश्य में बदलाव है। पिछले एक-दो सालों से बैंक FDs पर ब्याज दरें तीन से चार फीसद घट चुकी हैं। प्रमुख बैंक एफडी पर सात फीसद से अधिक ब्याज देते थे वे अब पांच फीसद से कम ब्याज दर की पेशकश कर रहे हैं।

म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन गया है। यह न केवल उच्च रिटर्न प्रदान करता है बल्कि यह निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने का अवसर भी प्रदान करता है। म्यूचुअल फंड में निवेश करने से निवेशकों को अपने निवेश को विभिन्न प्रकार के एसेट्स में विभाजित करने का अवसर मिलता जिससे जोखिम कम होता है और रिटर्न बढ़ता है।

निवेशकों के लिए अन्य विकल्प

बैंक FDs और म्यूचुअल फंड के अलावा निवेशकों के लिए अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं। इनमें से कुछ प्रमुख विकल्प हैं:

-सुकन्या समृद्धि योजना (SSY): यह केंद्र सरकार द्वारा समर्थित बचत योजना है जो केवल बेटियों के लिए है। इस योजना में इस समय 7.6 फीसद की दर से ब्याज मिल रहा है।

-वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (VPF): यह एक प्रकार का प्रोविडेंट फंड है जिसमें निवेशक अपने वेतन से अधिक राशि जमा करा सकते हैं। VPF पर भी पीएफ पर मिलने वाली दर से ही ब्याज मिलता है।

-सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम्स (SCSS): यह भी एक सरकार समर्थित निवेश योजना है जो 60 साल से अधिक आयु वाले लोगों के लिए है। इस योजना में अभी 7.40 फीसद की दर से ब्याज मिल रहा है।

इन विकल्पों में से किसी एक को चुनने से पहले, निवेशकों को अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशक्ति का मूल्यांकन करना चाहिए। इसके निवेशकों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी निवेश विकल्प जोखिम से मुक्त नहीं है और निवेश से पहले उचित शोध और विश्लेषण करना आवश्यक है।

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