नई दिल्ली: भारत में बिजली के मीटरों की स्थिति पर हमेशा बहस चलती रहती है और हाल ही में कई क्षेत्रों में यह देखने को मिला है कि पुराने बिजली मीटरों से आने वाला बिल अक्सर कम आ रहा है। ऐसे मीटर आमतौर पर पुराने तकनीकी मानकों पर आधारित होते हैं जिन्हें अब नए उन्नत मीटरों के मुकाबले कम सटीक माना जाता है। हालांकि इन मीटरों से आने वाले कम बिल को लेकर कई लोग खुशी जाहिर करते हैं लेकिन बिजली विभाग इसे एक गंभीर समस्या मानता है।
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पुराने मीटरों में कभी-कभी खराबी या तकनीकी खामी के कारण वास्तविक खपत से कम बिल आता है जिससे उपभोक्ताओं को भ्रम हो सकता है। इस स्थिति का लाभ उठाने वाले लोग यह समझ सकते हैं कि वे कम खपत कर रहे हैं लेकिन असल में मीटर की खराबी के कारण यह बिल घटित हो रहा है। इससे बाद में बिलों में अचानक वृद्धि हो सकती है जब मीटर को बदला जाता है या उसे ठीक किया जाता है।
नई दिल्ली मुंबई और कई अन्य प्रमुख शहरों में बिजली कंपनियां पुराने मीटरों को बदलने के अभियान में लगी हुई हैं ताकि उपभोक्ताओं को सही बिल मिले और वे अनावश्यक रूप से कम बिलों का लाभ न उठा सकें। विशेषज्ञों का मानना है कि पुराने मीटरों का इस्तेमाल किसी भी सूरत में उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद नहीं है क्योंकि यह स्थायी रूप से कम बिल की गारंटी नहीं दे सकते।
इसलिए अगर आपके पास पुराना मीटर है तो यह समय है कि आप उसे बदलवाने पर विचार करें ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी से बचा जा सके और आप सही बिल का भुगतान कर सकें।