नई दिल्ली: हाल के अध्ययन और रिपोर्टों के अनुसार भारत में जल, खाद्यान्न और कृषि उत्पादों में रासायनिक अवशेषों का स्तर लगातार बढ़ रहा है जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बन सकता है। अब यह खतरा केवल पानी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि धान, गेहूं, आलू और अन्य अनाजों में भी रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के अवशेष मिल रहे हैं जिन्हें धीमा जहर कहा जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इन रासायनिक पदार्थों के लगातार सेवन से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिनमें कैंसर किडनी की बीमारी और हार्मोनल असंतुलन जैसी समस्याएं शामिल हैं।
भारत में कृषि उत्पादन में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक इस्तेमाल किया जाता है जिससे इन रासायनिक अवशेषों का संचय खाद्य पदार्थों में हो रहा है। जल संसाधन और फसल उत्पादों की गुणवत्ता पर निगरानी रखने वाले संगठनों ने चेतावनी दी है कि इन अवशेषों का सेवन आम लोगों की सेहत के लिए गंभीर खतरे की ओर इशारा कर रहा है। खासकर उन क्षेत्रों में जहां पर किसान उच्च मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करते हैं वहां के अनाज और पानी में यह अवशेष अधिक पाए जा रहे हैं।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग न केवल भूमि की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाता है बल्कि यह प्रदूषण का कारण भी बनता है। कई राज्य जैसे पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जहां पर भारी मात्रा में अनाज उत्पादित होता है इन स्थानों पर रासायनिक अवशेषों की समस्या सबसे गंभीर है। इसके अलावा, जल आपूर्ति प्रणालियों में भी यह अवशेष मिल रहे हैं जो कि पीने के पानी की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं।
इस स्थिति को देखते हुए सरकार और कृषि विभाग ने कुछ कदम उठाने की योजना बनाई है जैसे जैविक खेती को बढ़ावा देना और किसानों को रासायनिक उर्वरकों के सुरक्षित उपयोग के बारे में प्रशिक्षण देना। हालांकि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इसे एक बड़े स्वास्थ्य संकट के रूप में देखा जा रहा है और इसके समाधान के लिए सख्त नियम और योजनाओं की आवश्यकता है।