कोलकाता (पश्चिम बंगाल):- कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की महिला चिकित्सक के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। केंद्रीय फोरेंसिक अनुसंधान प्रयोगशाला (CFSL) की रिपोर्ट ने जांच को एक नया मोड़ दे दिया है। रिपोर्ट के अनुसार जहां से महिला डॉक्टर का शव मिला था वह अपराध स्थल नहीं है। इससे संकेत मिलता है कि दुष्कर्म और हत्या की घटना को किसी अन्य जगह अंजाम दिया गया और बाद में शव को सेमिनार रूम में लाकर रखा गया।
9 अगस्त को महिला डॉक्टर का शव सेमिनार रूम में नीले गद्दे पर पाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार सेमिनार रूम में न तो पीड़िता और हमलावर के बीच किसी प्रकार की हाथापाई के निशान मिले और न ही आसपास के सामान में कोई खरोंच या अव्यवस्था देखी गई। रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ कि सेमिनार रूम में न तो दुष्कर्म हुआ और न ही हत्या। अपराध की वारदात किसी अन्य स्थान पर अंजाम दी गई।
इस मामले में सीबीआई जांच की प्रगति को लेकर पीड़ित परिवार और प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों ने नाराजगी जताई। 90 दिन बाद भी सीबीआई सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करने में असमर्थ रही है। दो मुख्य आरोपित अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और टाला थाने के प्रभारी रहे अभिजीत मंडल को जमानत मिल चुकी है।
वेस्ट बंगाल ज्वाइंट प्लेटफार्म ऑफ डॉक्टर्स ने सीबीआई की निष्क्रियता के खिलाफ 17 से 26 दिसंबर तक धर्मतल्ला के डोरिना क्रॉसिंग में धरने की अनुमति मांगी है। शनिवार को जूनियर डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने सीबीआई कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
घटना 9 अगस्त की है जब प्रशिक्षु महिला डॉक्टर का शव आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार रूम से बरामद हुआ। परिवार और प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इस मामले में अहम सबूत नष्ट हो चुके हैं। इस खुलासे के बाद सीबीआई पर दबाव बढ़ गया है कि वह जल्द से जल्द मामले की गुत्थी सुलझाए। इसके साथ ही डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों का आंदोलन मामले को नई दिशा दे सकता है।