चंडीगढ़ (पंजाब):- शुक्रवार 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करने के लिए किसान संगठनों ने अपनी योजनाओं को अंतिम रूप दे दिया है और शंभू बॉर्डर से पहला जत्था पैदल मार्च शुरू करेगा। यह मार्च केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के तहत आयोजित किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि वे कृषि कानूनों को लेकर अपनी मांगों को लेकर दिल्ली पहुंचेंगे ताकि उनकी आवाज़ को सरकार तक पहुंचाया जा सके। इस मार्च को लेकर हरियाणा और पंजाब ने अपनी-अपनी सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर दिया है और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है।
किसानों का मार्च और उद्देश्य:
किसान संगठनों का कहना है कि वे कृषि कानूनों की वापसी की मांग और किसानों के हक़ों की रक्षा के लिए दिल्ली मार्च कर रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में किसानों ने दिल्ली के विभिन्न बॉर्डरों पर केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए थे। हालांकि इन कानूनों को रद्द किए जाने के बाद भी किसानों को कई मुद्दों पर सरकार से समाधान की आवश्यकता है जिनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी और किसानों की स्थिति में सुधार के मुद्दे शामिल हैं। अब इन मुद्दों को लेकर किसान एक बार फिर दिल्ली का रुख कर रहे हैं।
शंभू बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था:
किसान संगठनों के दिल्ली कूच की घोषणा के बाद शंभू बॉर्डर जो हरियाणा और पंजाब की सीमा पर स्थित है पर सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया है। हरियाणा और पंजाब की पुलिस ने इस क्षेत्र में अतिरिक्त बल तैनात किया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से निपटा जा सके। दोनों राज्यों के अधिकारियों ने शंभू सीमा के पास चेक पोस्ट बढ़ा दिए हैं और कई जगहों पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं ताकि किसान बॉर्डर से दिल्ली की ओर न बढ़ सकें। सुरक्षा बलों के साथ-साथ अतिरिक्त अर्धसैन्य बलों की भी तैनाती की गई है। साथ ही भारी वाहनों को शंभू बॉर्डर से गुजरने से रोकने के लिए ट्रैफिक डायवर्जन की योजना बनाई गई है।
किसान संगठनों का आह्वान:
किसान नेताओं का कहना है कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेगा और उनका मुख्य उद्देश्य सरकार को उनके मुद्दों पर विचार करने के लिए मजबूर करना है। उनका यह भी कहना है कि इस बार वे एकजुट होकर और अधिक सशक्त तरीके से अपनी मांगें उठाएंगे। किसान संगठनों ने दावा किया है कि उनका मार्च शांतिपूर्ण रहेगा और उनकी यात्रा को लेकर सभी नियमों का पालन किया जाएगा। किसानों का मानना है कि दिल्ली तक उनके पहुंचने से सरकार पर दबाव बढ़ेगा और उनकी आवाज़ को सुना जाएगा।
हरियाणा-पंजाब सरकार की तैयारियाँ:
हरियाणा और पंजाब की सरकारों ने अपनी तैयारियों को पूरी तरह से मजबूत किया है। पंजाब पुलिस ने शंभू बॉर्डर के आस-पास के इलाकों में विशेष निगरानी बढ़ा दी है। इसके अलावा राज्य पुलिस द्वारा सभी प्रमुख मार्गों पर सुरक्षा तैनात की गई है। पंजाब सरकार ने इस आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए शंभू सीमा और अन्य संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी है। वहीं हरियाणा सरकार ने भी अपने बलों को सतर्क कर दिया है और दिल्ली कूच करने के लिए किसानों को रोकने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था बनाई है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया:
दिल्ली कूच को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भी हलचल बढ़ गई है। भारतीय किसान यूनियन और अन्य किसान संगठनों के नेताओं ने इस आंदोलन के लिए लोगों से समर्थन की अपील की है। वहीं केंद्रीय सरकार ने भी किसानों के प्रदर्शन को लेकर अपनी चिंताओं का इज़हार किया है और शांति बनाए रखने की अपील की है।पंजाब और हरियाणा के स्थानीय नेताओं ने भी किसानों के आंदोलन को लेकर बयान दिए हैं कुछ ने इसे किसानों के अधिकारों की रक्षा के रूप में देखा है तो कुछ ने इसे राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास बताया है।
शुक्रवार को होने वाले दिल्ली कूच के लिए किसान संगठनों ने व्यापक तैयारियां की हैं और शंभू बॉर्डर से पहला जत्था दिल्ली के लिए रवाना होगा। सरकार और सुरक्षा बलों की ओर से भी एहतियाती कदम उठाए गए हैं ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचा जा सके। अब यह देखना होगा कि इस मार्च के बाद सरकार और किसानों के बीच किस प्रकार की बातचीत होती है और क्या यह प्रदर्शन किसी समाधान की ओर अग्रसर होता है।