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वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव: 5 कारणों से बढ़ता खतरा

नई दिल्ली :-वायु प्रदूषण आज एक गंभीर वैश्विक समस्या बन गया है जो मानव स्वास्थ्य पर गहरे असर डालता है। खासकर छोटे प्रदूषक कण जैसे PM 2.5 जो सांस में घुलकर शारीरिक समस्याओं को जन्म देते हैं। डॉ. प्रभु प्रसाद जो मणिपाल अस्पताल गोवा में इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी के प्रमुख हैं ने वायु प्रदूषण और इससे होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों पर विस्तृत जानकारी साझा की है। इस लेख में हम जानेंगे वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव और इससे बचने के उपायों के बारे में।

1. PM 2.5: सूक्ष्म और खतरनाक कण

PM 2.5 वायु में मौजूद छोटे कण होते हैं जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम होता है। ये कण इतना छोटे होते हैं कि आसानी से फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर के अंदर गहरे तक पहुंच सकते हैं। इनसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और फेफड़ों के कैंसर जैसे गंभीर रोग हो सकते हैं। वाहन, औद्योगिक उत्सर्जन, और जंगल की आग इसके मुख्य स्रोत हैं।

2. स्वास्थ्य समस्याएं और जोखिम

PM 2.5 कणों के संपर्क में आने से श्वसन समस्याएं, हृदय रोग, और सांस से संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं। डॉ. प्रभु के अनुसार विशेष रूप से बुजुर्गों बच्चों और हृदय रोगियों के लिए यह प्रदूषण ज्यादा खतरनाक हो सकता है। इन कणों से शरीर के विभिन्न अंगों पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है जैसे दिल की धड़कन में असमानता, रक्तचाप में वृद्धि और फेफड़ों के कार्य में कमी।

3. प्रदूषण के कारण फेफड़ों में बीमारी

PM 2.5 के प्रभाव से फेफड़ों में सूजन और संक्रमण हो सकता है। लंबे समय तक प्रदूषित वातावरण में रहने से फेफड़ों में स्थायी क्षति हो सकती है जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। विशेष रूप से (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और अस्थमा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

4. मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर

वायु प्रदूषण केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर पड़ता है। प्रदूषण से होने वाली सूजन और शारीरिक तनाव मानसिक थकान, चिंता, और अवसाद जैसी स्थितियों को बढ़ा सकता है।

5. प्रदूषण से बचाव के उपाय

डॉ. प्रभु प्रसाद ने वायु प्रदूषण से बचने के कुछ उपाय सुझाए हैं:

– घर के अंदर वायु शुद्धक का उपयोग करें।

– वॉक और आउटडोर एक्टिविटी को कम करें खासकर प्रदूषित क्षेत्रों में।

– मास्क पहनें खासकर उन क्षेत्रों में जहां PM 2.5 की मात्रा ज्यादा हो।

– स्वस्थ आहार का सेवन करें ताकि शरीर प्रदूषण से लड़ सके।

– स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करें जैसे सौर ऊर्जा ताकि प्रदूषण का स्तर कम हो सके।

6. सरकार की भूमिका और नीतियां

प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार को कड़ी नीतियां लागू करनी चाहिए। प्रदूषणकारी स्रोतों पर प्रतिबंध स्वच्छ परिवहन विकल्पों को बढ़ावा देना और जन जागरूकता अभियान चलाना कुछ महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं।

वायु प्रदूषण खासकर PM 2.5 के कारण हमारे स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है। इससे बचने के लिए व्यक्तिगत सावधानी सही नीतियां और सरकार की पहल जरूरी हैं। प्रदूषण को नियंत्रित करना और स्वच्छ वातावरण बनाए रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

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