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गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्थाई कुलपति की नियुक्ति तक कुलपति राम शंकर दुबे का कार्यकाल एक साल बढ़ा

गांधीनगर (गुजरात):- गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजी) के कुलपति प्रोफेसर राम शंकर दुबे का कार्यकाल अब एक साल के लिए और बढ़ा दिया गया है। उनके कार्यकाल की समाप्ति 21 नवंबर 2024 को होनी थी लेकिन भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने उन्हें एक साल का अतिरिक्त कार्यकाल प्रदान किया है। यह विस्तार केंद्र सरकार के केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 के तहत राष्ट्रपति के अधिकार से प्रदान किया गया है जो विश्वविद्यालय के “विजिटर” भी हैं।

शिक्षा मंत्रालय ने सोमवार को जारी आधिकारिक आदेश में कहा कि कुलपति के पद पर नई नियुक्ति होने तक या अधिकतम एक वर्ष की अवधि तक प्रो. दुबे का कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है। इस फैसले से यह संकेत मिलता है कि सीयूजी में स्थाई कुलपति की नियुक्ति में संभवतः कुछ देरी हो सकती है। दरअसल सीयूजी में कुलपति के पद के लिए नए उम्मीदवारों के आवेदन आमंत्रित किए गए थे और इसके लिए एक चयन समिति का गठन भी किया गया था। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 7 जुलाई 2024 तय की गई थी। कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया में विलंब के कारण प्रो. दुबे को अस्थायी रूप से एक वर्ष का कार्यकाल विस्तार दिया गया है।

प्रोफेसर राम शंकर दुबे ने बताया कि उनके कार्यकाल के दौरान विश्वविद्यालय का स्थाई परिसर तैयार होने की दिशा में तेजी से कार्य हो रहा है। सीयूजी का स्थाई परिसर गुजरात के वडोदरा के कुंधेला में बन रहा है और उम्मीद है कि उनके इस अतिरिक्त कार्यकाल के दौरान यह पूरी तरह से कार्यशील हो जाएगा। इससे पहले सीयूजी का मुख्यालय गांधीनगर में अस्थाई परिसर में चल रहा था लेकिन अब वडोदरा स्थित नए परिसर में विश्वविद्यालय का संचालन पूरी तरह से स्थानांतरित किया जाएगा।

वर्तमान में गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय कई शैक्षणिक क्षेत्रों में उत्कृष्टता की दिशा में काम कर रहा है। इसमें विज्ञान, मानविकी, सामाजिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे विषय शामिल हैं। दुबे के अनुसार उनका ध्यान छात्रों और शिक्षकों के लिए बेहतर शैक्षणिक और शोध सुविधाएँ प्रदान करने पर केंद्रित है। इस विस्तार अवधि में वे विश्वविद्यालय के विकास के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने का भी प्रयास करेंगे। इस बीच गुजरात विद्यापीठ के कुलपति हर्षद पटेल को 2025 के लिए गुजरात गणित मंडल के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। हर्षद पटेल की नियुक्ति अमरेली में आयोजित 61वें वार्षिक सम्मेलन में सर्वसम्मति से हुई। हर्षद पटेल ने कहा कि वे इस पद के माध्यम से गणित शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने का कार्य करेंगे।

गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर एक पूर्णकालिक नियुक्ति में देरी का मुख्य कारण कुछ प्रशासनिक मुद्दे और प्रक्रियात्मक जटिलताएँ हो सकती हैं। शिक्षा मंत्रालय द्वारा पहले ही एक चयन समिति का गठन किया जा चुका है लेकिन इसके बावजूद नियुक्ति प्रक्रिया में विलंब की संभावना व्यक्त की जा रही है। इसलिए प्रोफेसर दुबे को अस्थायी कार्यकाल विस्तार प्रदान किया गया है ताकि विश्वविद्यालय के प्रबंधन और विकास कार्य बिना किसी रुकावट के जारी रह सकें।

प्रोफेसर दुबे के कार्यकाल में गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर हासिल किए हैं। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में डिजिटल तकनीकी का अधिकाधिक उपयोग किया जिससे विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए विभिन्न ऑनलाइन पाठ्यक्रम और रिसर्च अवसरों की उपलब्धता बढ़ी है। इसके साथ ही उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई महत्वपूर्ण साझेदारियाँ की हैं। प्रोफेसर दुबे का मानना है कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों को न केवल शैक्षणिक बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी सशक्त बनाना है।

वडोदरा में नए परिसर की स्थापना विश्वविद्यालय के विस्तार और विकास के दृष्टिकोण से एक अहम कदम है। नए परिसर में अत्याधुनिक सुविधाएँ शोध केंद्र और विश्वस्तरीय प्रयोगशालाएँ उपलब्ध होंगी जो कि छात्रों और शिक्षकों के लिए एक उच्च स्तरीय शैक्षणिक वातावरण प्रदान करेंगी। प्रोफेसर दुबे का कहना है कि उनकी प्राथमिकता इस नए परिसर को जल्द से जल्द पूर्ण रूप से कार्यशील बनाना है ताकि छात्रों को और बेहतर शैक्षिक सुविधाएँ मिल सकें। इस निर्णय के साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति की प्रक्रिया में और सुधार की आवश्यकता है ताकि नियुक्तियों में देरी न हो और प्रबंधन के कार्य सुचारू रूप से चल सकें।

इन लोगों ने दी बधाई:- 

प्रोफेसर राम शंकर दुबे के कार्यकाल विस्तार पर उन्हें कई शिक्षाविदों ने बधाई दी है। इनमें विशेष रूप से काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रोफेसर आनंद त्यागी, प्रोफेसर जे.पी. सिंह, प्रोफेसर आर.एन. राय, प्रोफेसर राकेश सिंह, डॉ. अखंड राय, रजनीश राय और विशाल सिंह शामिल हैं। सभी ने उनके सफल नेतृत्व और विश्वविद्यालय के विकास में उनके योगदान की सराहना की है और उनके आगामी कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दी हैं।

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