लखनऊ (उत्तर प्रदेश):- उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण का कानून 27.11.2020 से लागू है। सरकार द्वारा जो एक्ट लाया गया था उसका सख्ती से अनुपालन कराया जा रहा है। जो भी लव जिहाद के दायरे में लाते हुए धर्मांतरण को जोर दे रहे हैं उनके खिलाफ विधि संबंधित कार्रवाई करने के लिए सरकार संकल्पित है। सामान्य धर्मांतरण के भी समय-समय पर केस सामने आते हैं जैसे गाजियाबाद के एक बच्चे को प्रेरित करके गेमिंग के जरिए धर्म परिवर्तन कराए जाने का केस प्रकाश में आया है और पूछताछ कर मुख्य अभियुक्त को दूसरे राज्य लाकर आगे की कार्रवाई की जा रही है। लोग स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करे तो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जबरदस्ती कराया जाए तो कार्रवाई की जाएगी।
प्रत्येक व्यक्ति को अंतरात्मा की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, न कि केवल एक विशेष धर्म के अनुयायियों को और इसके बदले में यह माना जाता है कि किसी व्यक्ति को अपने धर्म में परिवर्तित करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है। धर्मांतरण मामले में राज्य अपने-अपने हिसाब से कानून तय करते हैं। देश के ज्यादातर राज्यों में धर्म परिवर्तन को लेकर सख्त कानून लागू हो चुका है।
इस कानून के तहत एक धर्म से दूसरे धर्म में जबरन, किसी के प्रभाव में या बहकाकर धर्म परिवर्तन कराना गैरकानूनी बताया गया है। इसके तहत तीन से पांच साल की कैद और 25000 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। इस कानून के तहत धर्म परिवर्तन कराने वाले शख्स पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। भारत में धर्म परिवर्तन एक बुनियादी अधिकार है । संविधान के अनुच्छेद 15 के अनुसार किसी व्यक्ति को किसी विशेष धर्म को चुनने की स्वतंत्रता है। विशेष रूप से भारत में जहां कई धर्म प्रचलित हैं, धार्मिक रूपांतरण काफी आम हैं।
हिंदू शब्द के स्वीकृत अर्थों में एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन में विश्वास नहीं करते हैं और मुख्य रूप से “कर्म” का लौह नियम हिंदुओं के बीच सभी धार्मिक प्रतिबंधों में व्याप्त है। इसके अलावा, हिंदू दुनिया के सभी महान धर्मों को सच मानते हैं, कम से कम उन्हें मानने वाले लोगों के लिए।
पुन: धर्मांतरण की कोई सीमा नहीं है। यदि कोई व्यक्ति फिर से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो अपने स्पष्ट इरादे से उसे परिवर्तित किया जा सकता है। और कहा कि प्रतिवादी का कृत्य द्विविवाह के बराबर है और उसे भारतीय दंड संहिता के तहत दंडित किया जाना चाहिए।