रामेश्वर सोनी की स्पेशल रिपोर्ट
कौन कहता है आसमा में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों कुछ ऐसा ही कारनामा सफ़ाई कर्मी कुकुराम ने करके दिखाया l
पटियाला कोर्ट में महज़ नौ हजार में सफाई कर्मचारी की नौकरी करने वाले कुकुराम जी ने इंटरनेशनल लेवल पर 53 वर्ष की उम्र में बॉडी बिल्डिंग में गोल्ड मेडल जीता है। अब ऐसे लोग प्रेरणास्रोत नहीं होंगे और ऐसे लोगों का हौसलाफजाई न हो तब किसे आप प्रेरणादायक मानेंगे?
सरकारों को ऐसे लोगों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। अमेरिका हर खेलों सबसे अधिक गोल्ड मेडल इसीलिए जीतता है क्योंकि उन्होंने अपनी आर्मी और अपने खेलों में उन आदिवासी, नीग्रो इत्यादि को तवज्जो दी जिनमें अप्रतिम शारारिक शक्ति थी। भारत के केंद्र तथा राज्य की सरकारें यदिऐसा करने लगे तब हमारी झोली में विश्वभर के मेडल हो सकते हैं।