नई दिल्ली :- भारत ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के दोहरे रवैये को बेनकाब कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हुई एक अहम बैठक में भारत ने पाकिस्तान की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि जो देश खुद आतंकवाद को बढ़ावा देता है और बेगुनाह नागरिकों की हत्या में संलिप्त समूहों को शह देता है, उसे मानवाधिकार या नागरिक सुरक्षा पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
भारत की दो टूक चेतावनी
भारतीय प्रतिनिधि ने अपने भाषण में पाकिस्तान का नाम लिए बिना, लेकिन स्पष्ट शब्दों में उसकी आतंकी नीतियों और पाखंडी बर्ताव पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “कुछ देश ऐसे हैं जो आतंकवादियों और निर्दोष नागरिकों के बीच कोई फर्क नहीं करते। वे एक ओर संयुक्त राष्ट्र के मंच पर शांति की बातें करते हैं और दूसरी ओर अपने देश में आतंकियों को पनाह और समर्थन देते हैं।”
गुरुद्वारों, मंदिरों पर हमले और अल्पसंख्यकों की दुर्दशा
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में यह भी उजागर किया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे हमले लगातार बढ़ रहे हैं। विशेष रूप से हिंदू मंदिरों, सिख गुरुद्वारों और ईसाई गिरजाघरों को निशाना बनाया जा रहा है। हाल ही में बलूचिस्तान, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में अल्पसंख्यकों की हत्या और धार्मिक स्थलों पर हमलों ने इस्लामाबाद के मानवाधिकार दावों की पोल खोल दी है।
भारत ने रखे ठोस आंकड़े
भारतीय प्रतिनिधि ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों के आंकड़े भी प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि पिछले एक दशक में सैकड़ों हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कर निकाह किया गया, कई सिख नेताओं की हत्या कर दी गई और अहमदिया मुस्लिम समुदाय के लोगों को खुलेआम निशाना बनाया गया।
आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति स्पष्ट
भारत ने इस अवसर पर यह भी स्पष्ट किया कि वह आतंकवाद के किसी भी स्वरूप को समर्थन नहीं देता और हमेशा ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर चलता है। पाकिस्तान को यह याद दिलाया गया कि “26/11 मुंबई हमले, पठानकोट एयरबेस पर हमला और उरी जैसी घटनाओं की जड़ें पाकिस्तान की धरती से जुड़ी हैं।”
विश्व समुदाय को चेतावनी
भारत ने संयुक्त राष्ट्र में सभी सदस्य देशों से अपील की कि दोहरे मानदंडों को समाप्त कर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रुख अपनाया जाए। उन्होंने कहा कि आतंक को पालने-पोसने वाले देशों को पहचान कर उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि निर्दोष नागरिकों की जानें बचाई जा सकें।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की यह सख्त और तर्कसंगत बयानबाजी इस बात का प्रतीक है कि अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान के झूठ और पाखंड को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारत ने अपने पक्ष को मजबूती से रखते हुए एक बार फिर यह संदेश दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वह किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगा।