बेंगलुरु:- एक गूगल तकनीशियन ने आरोप लगाया है कि बेंगलुरु में एक पार्किंग स्थल ने उन्हें पार्किंग करने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्होंने हिंदी में बात की थी। तकनीशियन ने पार्किंग स्थल के कर्मचारियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उनसे कहा कि “अंग्रेजी में बात करें” और पार्किंग की अनुमति देने से पहले “हिंदी में बात न करने” की सलाह दी।
क्या है मामला?
गूगल तकनीशियन ने दावा किया है कि जब उन्होंने पार्किंग स्थल के कर्मचारियों से पार्किंग के बारे में पूछा, तो उन्होंने हिंदी में बात की। इस पर पार्किंग स्थल के कर्मचारियों ने उनसे कहा कि वे अंग्रेजी में बात करें और हिंदी में बात करने पर पार्किंग से इनकार कर दिया। तकनीशियन ने आरोप लगाया है कि पार्किंग स्थल के कर्मचारियों का व्यवहार अनुचित और भेदभावपूर्ण था।
तकनीशियन का बयान
तकनीशियन ने कहा, “मैंने पार्किंग स्थल के कर्मचारियों से पार्किंग के बारे में पूछा और मैंने हिंदी में बात की। इस पर उन्होंने मुझसे कहा कि मैं अंग्रेजी में बात करूं और हिंदी में बात करने पर पार्किंग से इनकार कर दिया। यह व्यवहार अनुचित और भेदभावपूर्ण था।”
पार्किंग स्थल की प्रतिक्रिया
पार्किंग स्थल ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, पार्किंग स्थल के एक कर्मचारी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि तकनीशियन के साथ क्या हुआ था और वे इस मामले की जांच करेंगे।
भाषा का मुद्दा
यह मामला भाषा के मुद्दे को फिर से उठाता है, जो भारत में एक महत्वपूर्ण विषय है। भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं और हिंदी देश की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। हालांकि, कुछ स्थानों पर अंग्रेजी का अधिक उपयोग किया जाता है, खासकर शहरी क्षेत्रों में। यह मामला दिखाता है कि भाषा का मुद्दा अभी भी भारत में एक महत्वपूर्ण विषय है। यह आवश्यक है कि हम अपनी भाषा और संस्कृति का सम्मान करें और दूसरों की भाषा और संस्कृति का भी सम्मान करें। पार्किंग स्थल को इस मामले की जांच करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके कर्मचारी अनुचित और भेदभावपूर्ण व्यवहार न करें।