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‘मैं बंधक की तरह महसूस कर रहा हूं’ – बांग्लादेश की सत्ता से मोहम्मद यूनुस का मोहभंग, इस्तीफे की चेतावनी

ढाका (बांग्लादेश):- बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर में प्रवेश करती नजर आ रही है। हाल ही में देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने राजनीतिक अस्थिरता और समर्थन की कमी को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह खुद को “बंधक जैसा महसूस” कर रहे हैं और अगर हालात नहीं बदले, तो वे पद छोड़ सकते हैं।

यूनुस, जो एक अनुभवी प्रशासक और समाज सुधारक के रूप में जाने जाते हैं, ने कहा कि जब उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी, तब उनसे वादा किया गया था कि सभी राजनीतिक दल उन्हें सहयोग देंगे। लेकिन अब जब वास्तविक काम करने की बारी आई है, तो उनके अनुसार, कोई भी दल उनके साथ खड़ा नहीं दिख रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सत्ता में रहकर भी वे निर्णय लेने की स्वतंत्रता से वंचित हैं, जिससे उन्हें प्रशासनिक कामकाज चलाने में भारी कठिनाई हो रही है।

राजनीतिक दलों से नाराजगी

यूनुस की नाराजगी का केंद्र मुख्यतः बांग्लादेश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियाँ हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे निष्पक्ष और पारदर्शी शासन दें, लेकिन दूसरी ओर उन्हें कोई आवश्यक संसाधन या समर्थन नहीं मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी परिस्थितियों में लोकतंत्र को मज़बूत करना मुश्किल ही नहीं, असंभव हो जाता है।

लोकतंत्र के लिए खतरा?

विश्लेषकों का मानना है कि यदि यूनुस वास्तव में इस्तीफा दे देते हैं, तो बांग्लादेश एक बार फिर राजनीतिक संकट की ओर बढ़ सकता है। ऐसे समय में जब देश अगले आम चुनावों की तैयारी में है, अंतरिम सरकार के प्रमुख का त्यागपत्र सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को बाधित कर सकता है। इससे न केवल देश की आंतरिक स्थिरता प्रभावित होगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश की छवि को भी नुकसान पहुंच सकता है।

मीडिया से खुलकर बोले यूनुस

एक हालिया मीडिया इंटरव्यू में यूनुस ने खुलकर कहा, “मैं कोई कठपुतली नहीं हूं। अगर मुझे फैसले लेने की आज़ादी नहीं दी जाती, तो मेरा पद पर बने रहना बेमानी है। मैं किसी के दबाव में नहीं काम करूंगा।” उनके इस बयान से साफ है कि वे अब दबाव की राजनीति से परेशान हो चुके हैं और गंभीर निर्णय लेने की दिशा में सोच रहे हैं।

आगे क्या?

अब सबकी निगाहें बांग्लादेश की राजनीतिक पार्टियों और राष्ट्रपति पर टिकी हैं, जो इस स्थिति को कैसे संभालते हैं, यह देश के लोकतांत्रिक भविष्य के लिए निर्णायक होगा। यदि यूनुस ने इस्तीफा दिया, तो एक नई अंतरिम व्यवस्था खड़ी करनी होगी, जो कि खुद में एक चुनौती होगी।

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