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डोनाल्ड ट्रंप का बयान बना चर्चा का विषय: “Apple को भारत में प्लांट लगाना बंद करना चाहिए”

वाशिंगटन :- पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने बयान को लेकर सुर्खियों में आ गए हैं। इस बार उनका निशाना बना है दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक – Apple Inc. ट्रंप ने हाल ही में एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि उन्होंने Apple के CEO टिम कुक से आग्रह किया है कि वे भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स लगाना बंद करें और अमेरिका में उत्पादन बढ़ाएं।

“Apple को अमेरिका में बनाना चाहिए” – ट्रंप का दो टूक संदेश

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा, “मैंने टिम कुक से कहा है कि आपको भारत या किसी और देश में मैन्युफैक्चरिंग की बजाय अमेरिका में ही अपने उत्पाद बनाने चाहिए। अमेरिका की कंपनियों को अमेरिका में उत्पादन करना चाहिए, जिससे हमारे देश में रोजगार बढ़े और हमारी इकॉनमी मजबूत हो।

ट्रंप का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब Apple ने भारत में अपने निवेश और उत्पादन को बढ़ाने का ऐलान किया है। कंपनी ने हाल ही में चेन्नई, बेंगलुरु और नोएडा जैसे शहरों में उत्पादन यूनिट्स और iPhone असेंबली प्लांट्स के विस्तार की योजना बनाई है।

भारत के लिए क्या है मायने?

Apple की भारत में मौजूदगी न सिर्फ तकनीकी विकास बल्कि लाखों रोजगारों के लिए अहम मानी जा रही है। iPhone और अन्य डिवाइस का स्थानीय निर्माण भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करने में मदद कर रहा है। अगर Apple जैसी कंपनियां भारत से अपना निवेश हटाती हैं तो इससे भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बड़ा झटका लग सकता है।

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का बयान फिलहाल राजनीतिक बयानबाज़ी का हिस्सा हो सकता है, खासकर आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए। वह ‘America First’ नीति को फिर से केंद्र में लाकर घरेलू वोटर्स को लुभाना चाहते हैं।

Apple की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है

Apple की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन कंपनी ने पहले साफ कहा है कि वह “ग्लोबल सप्लाई चेन” पर विश्वास करती है और जहां जरूरत हो, वहां निवेश करती है। भारत में Apple की बिक्री लगातार बढ़ रही है और कंपनी की रणनीति एशियाई मार्केट्स में अपने पांव मजबूत करने की है।

अमेरिकी राजनीति में ‘मेक इन USA’ का जोर 

डोनाल्ड ट्रंप की राजनीति का एक बड़ा आधार ‘मेक इन USA’ और प्रोटेक्शनिज़्म रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बार चीन, भारत और अन्य देशों में अमेरिकी कंपनियों के निवेश पर सवाल उठाए थे। उनका तर्क रहा है कि विदेशी निवेश से अमेरिकी नौकरियों पर असर पड़ता है।

 

डोनाल्ड ट्रंप का Apple और भारत को लेकर दिया गया बयान आने वाले समय में न केवल तकनीकी जगत में बल्कि वैश्विक राजनीति में भी बहस का विषय बन सकता है। यह बयान भारत-अमेरिका आर्थिक रिश्तों पर किस तरह का असर डालेगा, यह आने वाले समय में साफ होगा। पर इतना तो तय है कि इस मुद्दे पर हलचल तेज होने वाली है।

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