मुंबई :- भारतीय सिनेमा के इतिहास में कई ऐसे अभिनेता हुए हैं जिन्होंने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। लेकिन कुछ कलाकार ऐसे भी होते हैं जिनके करियर की दिशा एक विशेष फिल्म से पूरी तरह बदल जाती है। ऐसा ही एक नाम है बॉलीवुड के “हीमैन” धर्मेंद्र का। धर्मेंद्र का फिल्मी सफर तो 60 के दशक में शुरू हुआ, लेकिन उनके करियर में असली मोड़ 1970 के दशक की एक विशेष फिल्म से आया—जिसमें उन्होंने एक चोर की भूमिका निभाई थी और उस किरदार ने उन्हें एक नया मुकाम दिलाया।
यह फिल्म थी “चुपके चुपके” (1975)। हालांकि यह फिल्म पूरी तरह से कॉमिक थी, लेकिन धर्मेंद्र की भूमिका ने दर्शकों को हैरान कर दिया। इससे पहले वे ज्यादातर गंभीर और एक्शन से भरपूर किरदारों में नजर आते थे, लेकिन इस फिल्म में उन्होंने अपनी कॉमिक टाइमिंग और अभिनय से यह साबित कर दिया कि वह एक वर्सेटाइल अभिनेता हैं। फिल्म में उनके किरदार ‘प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी’ ने जो मासूमियत और मजाकिया अंदाज पेश किया, वह आज भी लोगों को हँसी से लोटपोट कर देता है।
हालांकि अगर बात “चोर” की भूमिका की हो, तो वह फिल्म थी “शालीमार” (1978), जिसमें धर्मेंद्र ने एक रॉबिनहुड स्टाइल चोर का किरदार निभाया था। इस फिल्म ने धर्मेंद्र की एक अलग पहचान बनाई और यह साबित कर दिया कि वह न केवल एक्शन हीरो हैं, बल्कि डार्क शेड्स वाले किरदारों को भी बखूबी निभा सकते हैं।
धर्मेंद्र का अंदाज़ और स्टारडम
धर्मेंद्र उस दौर के ऐसे अभिनेता थे जो हर तरह के किरदार में फिट बैठते थे—चाहे वह एक रोमांटिक प्रेमी हो, एक गुस्सैल नौजवान, या फिर एक मस्तीखोर चोर। लेकिन ‘चुपके चुपके’ और ‘शालीमार’ जैसी फिल्मों ने यह प्रमाणित कर दिया कि वह सिर्फ एक्शन हीरो नहीं, बल्कि सम्पूर्ण अभिनेता हैं।