चेन्नई (तमिलनाडु ):-देश को हिला देने वाले 2019 के पोलाची यौन शोषण कांड में आज एक ऐतिहासिक फैसला आया है। तमिलनाडु की विशेष अदालत ने इस बहुचर्चित मामले में सभी 9 आरोपियों को दोषी करार दिया है। यह फैसला न केवल पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक बड़ी जीत है, बल्कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए एक सख्त संदेश भी देता है।
क्या था पोलाची कांड?
2019 में तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के पोलाची शहर में यह मामला सामने आया था। पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि एक सुनियोजित गिरोह कॉलेज छात्राओं और युवतियों को पहले दोस्ती के जाल में फंसाता था, फिर उन्हें एकांत जगह ले जाकर उनके साथ यौन शोषण करता था। इस दौरान उनके आपत्तिजनक वीडियो भी बनाए जाते थे ताकि उन्हें ब्लैकमेल कर भविष्य में उनका शोषण किया जा सके।यह सिलसिला कई वर्षों तक चलता रहा, और अनुमान लगाया गया कि 50 से अधिक महिलाएं इस गिरोह की शिकार बनीं। जब यह मामला मीडिया और सोशल मीडिया पर उछला, तब पूरे राज्य में आक्रोश की लहर दौड़ गई और सरकार पर कड़ी कार्रवाई का दबाव बढ़ा।
कैसे हुआ खुलासा?
एक पीड़िता की शिकायत के बाद मामला सामने आया। शिकायत के आधार पर पुलिस ने तेजी से कार्रवाई की और जांच के दौरान मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए जिनमें कई महिलाओं के वीडियो पाए गए। पूछताछ में यह भी सामने आया कि आरोपियों का राजनीतिक संबंध भी रहा है, जिससे इस मामले ने राजनीतिक तूल भी पकड़ा।
आरोपियों पर लगे थे गंभीर आरोप
इस मामले में जिन 9 आरोपियों को दोषी पाया गया है, उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 (महिला की मर्यादा भंग करना), 376 (बलात्कार), 506 (धमकी देना) सहित आईटी एक्ट और पॉक्सो एक्ट के तहत मामले दर्ज किए गए थे।जांच में पाया गया कि आरोपी मिलकर महिलाओं को फुसलाते थे, उनके साथ अश्लील हरकतें करते थे और फिर वीडियो बनाकर उन्हें धमकाते थे। कई बार उन्हें पैसे देने के लिए मजबूर किया गया, तो कई बार और युवतियों को लाने के लिए दबाव डाला गया।
NIA ने संभाली थी जांच
मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपा गया। एनआईए ने इसे संगठित यौन शोषण और ब्लैकमेलिंग का मामला बताते हुए गहन जांच की। जांच एजेंसी ने डिजिटल सबूतों, गवाहों के बयान और फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें आरोपियों की आपराधिक योजना और गतिविधियां विस्तार से बताई गई थीं।
पीड़िताओं ने दिखाई हिम्मत
इस केस में एक बड़ी बात यह रही कि कई पीड़िताओं ने सामने आकर अदालत में अपने बयान दर्ज कराए। उन्होंने पूरी बहादुरी के साथ उन तकलीफों को बयान किया जो उन्होंने झेली थीं। उनके बयानों और सबूतों के आधार पर अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया।
अदालत का सख्त रुख
विशेष अदालत के न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला केवल व्यक्तिगत अपराध नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं की आज़ादी और सुरक्षा पर हमला है। अदालत ने कहा कि ऐसे मामलों में सख्त सजा जरूरी है ताकि समाज में एक स्पष्ट संदेश जाए कि महिलाओं के सम्मान के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।दोषियों को अब सजा पर बहस के लिए जल्द ही अगली सुनवाई होगी, जिसमें उन्हें उम्रकैद या कठोर सजा दी जा सकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
मामले के सामने आने पर पहले ही तमिलनाडु की राजनीति में भूचाल आ गया था। कुछ आरोपियों के राजनीतिक संगठनों से जुड़े होने की बात सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने सत्ताधारी पार्टी पर जमकर निशाना साधा था। अब जब सभी आरोपी दोषी साबित हो चुके हैं, तो राजनीतिक दलों की ओर से प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। डीएमके, एआईएडीएमके और कांग्रेस समेत कई दलों ने पीड़िताओं को न्याय मिलने पर संतोष जताया है और कहा है कि ऐसे मामलों में कानून को और अधिक सख्त बनाया जाना चाहिए।
समाज में क्या बदलेगा?
यह फैसला केवल एक केस का अंत नहीं, बल्कि समाज में एक नई शुरुआत का संकेत है। यह एक चेतावनी है उन लोगों के लिए जो महिलाओं को शिकार समझते हैं। साथ ही, यह एक प्रेरणा है उन महिलाओं के लिए जो अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने से डरती हैं।इस केस ने यह भी साबित कर दिया कि जब पीड़िताएं चुप्पी तोड़ती हैं और जब जांच एजेंसियां बिना किसी दबाव के निष्पक्ष जांच करती हैं, तब न्याय संभव है।