लखनऊ (उत्तर प्रदेश):- उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए एक बड़ी राहत की घोषणा की है। राज्य में अब किराए के मकान या फ्लैट के रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर कराना सस्ता हो गया है। सरकार ने स्टांप ड्यूटी में महत्वपूर्ण कटौती करते हुए किराया अनुबंध प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और किफायती बना दिया है।
क्या है नया नियम?
अब राज्य में एक लाख रुपये तक के वार्षिक किराए वाले अनुबंध पर केवल 500 रुपये स्टांप ड्यूटी देनी होगी। इससे पहले यह राशि अधिक थी और पंजीकरण प्रक्रिया में जटिलताएं और अतिरिक्त खर्च शामिल होते थे, जो आम किरायेदारों और छोटे मकान मालिकों के लिए परेशानी का कारण बनता था।
सरकार का उद्देश्य
इस फैसले का मुख्य उद्देश्य राज्य में किराया अनुबंध को वैधानिक रूप देना और उसे औपचारिक रूप से रजिस्टर्ड कराना है। इससे विवाद की स्थिति में कानूनी संरक्षण मिल सकेगा और अवैध कब्जे, जबरन निकाले जाने जैसे मामलों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि “सरकार आम जनता को कानून के दायरे में सहूलियत देने के लिए प्रतिबद्ध है। रेंट एग्रीमेंट की प्रक्रिया को सरल बनाकर हमने न केवल मकान मालिकों बल्कि किरायेदारों के हितों की भी रक्षा की है।”
किन लोगों को मिलेगा लाभ?
वह लोग जो फ्लैट, मकान या दुकान किराए पर लेते हैं और जिनका सालाना किराया 1 लाख रुपये तक है।छोटे व्यापारी, छात्र, प्रवासी श्रमिक और नौकरीपेशा लोग जो किराए के मकान में रहते हैं।
वे मकान मालिक जो अपने मकान को किराए पर देकर अतिरिक्त आमदनी कमाते हैं, लेकिन रजिस्ट्रेशन से बचते थे।
रेंट एग्रीमेंट का महत्व क्यों बढ़ा?
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और घनी आबादी वाले राज्य में रेंट एग्रीमेंट की वैधता और पारदर्शिता बहुत जरूरी है। कई बार बिना रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच विवाद खड़े हो जाते हैं। नया नियम यह सुनिश्चित करेगा कि दोनों पक्षों के अधिकार सुरक्षित रहें।
ऑनलाइन सुविधा भी जल्द
राज्य सरकार जल्द ही रेंट एग्रीमेंट को ऑनलाइन रजिस्टर कराने की सुविधा शुरू करने जा रही है, जिससे लोग बिना तहसील या सब-रजिस्ट्रार कार्यालय जाए भी अपना अनुबंध घर बैठे रजिस्टर्ड करा सकें।
निष्कर्ष
योगी सरकार का यह कदम उत्तर प्रदेश के शहरी और अर्धशहरी इलाकों में किराये की व्यवस्था को अधिक संगठित, सुलभ और सुरक्षित बनाएगा। किरायेदार और मकान मालिक दोनों अब कानूनी दायरे में रहकर अपने अधिकारों का लाभ उठा सकेंगे। साथ ही इससे सरकार को भी रेंट आधारित गतिविधियों का बेहतर डाटा मिलेगा जो भविष्य की आवासीय नीतियों के निर्माण में सहायक होगा।