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भारत-पाकिस्तान टकराव: आतंकवाद के खिलाफ सटीक कार्रवाई

नई दिल्ली:– भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चले आ रहे तनाव का ताज़ा अध्याय एक बार फिर चर्चा में है। मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबरों के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान पर लगभग 100 मिसाइलें दागीं। लेकिन यह हमला किसी सामान्य युद्ध का संकेत नहीं था, बल्कि यह विशेष रूप से पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी ठिकानों को लक्ष्य बनाकर किया गया था।

आतंकवाद के खिलाफ भारत की जवाबी कार्रवाई

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने हाल ही में पुष्टि की थी कि पाकिस्तान की सरज़मीन पर कुछ नए आतंकवादी शिविर सक्रिय हुए हैं, जिनका उद्देश्य भारत में अस्थिरता फैलाना है। इन ठिकानों पर आधारित इनपुट्स के आधार पर भारतीय सेना ने एक सटीक और सीमित कार्रवाई की। भारत ने न तो पाकिस्तान की किसी सिविलियन बस्ती को निशाना बनाया, न ही उसके किसी महत्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठान पर हमला किया।

यह हमला पूरी तरह से आतंकवाद विरोधी कार्रवाई थी, जो अंतरराष्ट्रीय नियमों और आत्मरक्षा के अधिकार के तहत की गई।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया: सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमला

भारत की सीमित कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने जवाब में भारतीय रिहायशी इलाकों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। यह एक घोर निंदनीय क़दम था, जो न केवल युद्धविराम के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के भी खिलाफ है।

हालांकि, भारत की एयर डिफेंस प्रणाली — जिसमें S-400 जैसे अत्याधुनिक सिस्टम शामिल हैं — ने इन हमलों को नाकाम कर दिया। भारतीय वायुसेना और थलसेना सतर्क थीं और किसी बड़े नुकसान से देश को बचा लिया गया।

रणनीतिक दबाव और शक्ति प्रदर्शन

अब भारत के लिए यह संदेश स्पष्ट करना आवश्यक हो गया है कि यदि पाकिस्तान इस प्रकार की नीच हरकतें करता रहेगा, तो भारत को भी जवाब देना आता है। INS विक्रांत जैसे शक्तिशाली युद्धपोतों को तैनात कर दिया गया है, और लाहौर, कराची, इस्लामाबाद जैसे बड़े शहरों के बाहरी क्षेत्रों में सटीक मिसाइल हमले किए जा रहे हैं — केवल सैन्य और आतंकवादी ठिकानों को लक्ष्य बनाकर।

भारत यह दिखाना चाहता है कि वह युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अपनी जनता की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

निष्कर्ष: युद्ध नहीं, शांति की ज़रूरत

भारत की रणनीति स्पष्ट है — आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस, लेकिन आम नागरिकों के जीवन और मानवता का सम्मान। पाकिस्तान को भी चाहिए कि वह समझे कि आतंक का समर्थन करके वह अपने देश को ही खतरे में डाल रहा है। यदि वह युद्ध की दिशा में आगे बढ़ेगा, तो भारत की प्रतिक्रिया कहीं अधिक सटीक और विनाशकारी हो सकती है।

अंतिम संदेश

युद्ध किसी के हित में नहीं है, लेकिन आत्मरक्षा हर राष्ट्र का अधिकार है। भारत ने यह कदम मजबूरी में उठाया है और पाकिस्तान को अब सोचने की ज़रूरत है कि वह किस ओर जाना चाहता है — युद्ध की ओर या स्थायी शांति की ओर।

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