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ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवादियों को समर्थन देने वाले 9 ठिकानों पर भारत का प्रहार

नई दिल्ली:- हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी भारतीय सशस्त्र बलों ने बुधवार को “ऑपरेशन सिंदूर” नामक एक साहसिक कार्रवाई को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन के तहत, भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थित 9 ऐसे ठिकानों को निशाना बनाया जो आतंकवादियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहायता प्रदान कर रहे थे। इन ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमलों से आतंकी ढांचे को भारी क्षति पहुंची है।

ये 9 ठिकाने विभिन्न आतंकी संगठनों जैसे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े हुए थे। इन संगठनों का भारत में कई बड़े आतंकी हमलों में हाथ रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत लक्षित किए गए ठिकाने न केवल आतंकवादियों को प्रशिक्षण और हथियार मुहैया करा रहे थे बल्कि उनके रहने, खाने-पीने और अन्य लॉजिस्टिकल जरूरतों को भी पूरा कर रहे थे।

यहां उन 9 ठिकानों का विवरण दिया गया है, जिन पर ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्रवाई की गई और वे किस प्रकार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे थे:

मरकज सुभान अल्लाह, बहावलपुर (जैश-ए-मोहम्मद): यह जैश का मुख्य प्रशिक्षण और वैचारिक केंद्र था। यहां युवाओं को जिहाद के लिए प्रेरित किया जाता था और हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता था। मसूद अज़हर जैसे शीर्ष आतंकी नेता यहां अक्सर भारत विरोधी भाषण देते थे।

मरकज तैयबा, मुरीदके (लश्कर-ए-तैयबा): लश्कर का यह सबसे महत्वपूर्ण प्रशिक्षण केंद्र था, जहां सालाना लगभग 1000 रंगरूटों को भर्ती किया जाता था। 26/11 के मुंबई हमले के आतंकियों को भी यहीं प्रशिक्षण मिला था।

सरजल/तेहरा कलां (जैश-ए-मोहम्मद): यह ठिकाना नियंत्रण रेखा के पास स्थित था और इसका इस्तेमाल सुरंग बनाने, ड्रोन उड़ाने और हथियारों तथा नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए किया जाता था।

मेहमोना जोया, सियालकोट (हिजबुल मुजाहिदीन): यह हिजबुल का एक महत्वपूर्ण लॉजिस्टिकल बेस था जो आतंकियों को हथियार और अन्य जरूरी सामान पहुंचाने में मदद करता था।

मरकज अहले हदीस, बरनाला (लश्कर-ए-तैयबा): यह लश्कर का एक और प्रशिक्षण शिविर था जहां आतंकियों को धार्मिक कट्टरता का पाठ पढ़ाया जाता था और उन्हें हमलों के लिए तैयार किया जाता था।

मरकज अब्बास, कोटली (जैश-ए-मोहम्मद): यह जैश का एक प्रमुख ठिकाना था जिसका इस्तेमाल आतंकियों को सीमा पार घुसपैठ कराने और हमलों की योजना बनाने के लिए किया जाता था।

मस्कर राहील शाहिद, कोटली (हिजबुल मुजाहिदीन): यह हिजबुल का एक और महत्वपूर्ण केंद्र था, जो आतंकियों की भर्ती और प्रशिक्षण में सक्रिय रूप से शामिल था।

शवाई नाला कैंप, मुजफ्फराबाद (लश्कर-ए-तैयबा): नियंत्रण रेखा के करीब स्थित यह कैंप आतंकियों के लिए एक लॉन्चिंग पैड के रूप में इस्तेमाल होता था, जहां से वे भारत में दाखिल होते थे।

मरकज सैयदना बिलाल, मुजफ्फराबाद (जैश-ए-मोहम्मद): यह जैश का एक महत्वपूर्ण कमांड एंड कंट्रोल सेंटर था जहां से आतंकी गतिविधियों की योजना बनाई जाती थी और उन्हें निर्देशित किया जाता था।

भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऑपरेशन सिंदूर एक “सटीक और संयमित” कार्रवाई थी जिसका उद्देश्य केवल आतंकी ढांचे को नष्ट करना था और इसमें किसी भी पाकिस्तानी सैन्य या नागरिक ठिकाने को निशाना नहीं बनाया गया। इस कार्रवाई से आतंकवादियों को मिलने वाली सहायता में महत्वपूर्ण कमी आने की उम्मीद है और यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

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