नई दिल्ली: 15 दिसंबर 2019 को जामिया नगर (दिल्ली) में हुई हिंसा के मामले में साकेत कोर्ट ने शरजील इमाम को मुख्य साजिशकर्ता करार दिया है। अदालत ने कहा कि इमाम के भड़काऊ भाषणों की वजह से ही हिंसा, आगजनी और दंगे भड़के थे। वहीं 15 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
शरजील इमाम क्यों फंसा?
अदालत ने माना कि शरजील इमाम ने जानबूझकर मुस्लिम समुदाय को भड़काया जिससे सीएए विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। जज के मुताबिक, इमाम ने सोशल मीडिया, पर्चे और सार्वजनिक भाषणों के जरिए लोगों को उकसाया। खासकर 11 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और 13 दिसंबर को जामिया विश्वविद्यालय में दिए गए भाषणों को अदालत ने उकसाने वाला माना।
शरजील पर कौन-कौन से आरोप?
अदालत ने इमाम के खिलाफ आईपीसी की धारा 109, 120बी, 153ए, 143, 147, 148, 149, 186, 353, 332, 333, 308, 427, 435, 323, 341 और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धारा 3/4 के तहत आरोप तय किए हैं।
और कौन-कौन आरोपी?
इमाम के अलावा, आशु खान, चंदन कुमार, आसिफ इकबाल तन्हा, अनल हुसैन, अनवर काला, यूनुस और जुम्मन के खिलाफ भी आरोप तय हुए हैं। अदालत ने इनके मोबाइल लोकेशन और मीडिया इंटरव्यू को सबूत के तौर पर माना है।
किन 15 लोगों को अदालत ने बरी किया?
मो. आदिल, रुहुल अमीन, मो. जमाल, मो. उमर, मो. शाहिल, मुदस्सिर फहीम हासमी, मो. इमरान, अहमद साकिब खान, तंजील अहमद चौधरी, मो. इमरान मुनीब मियां, सैफ सिद्दीकी, शाहनवाज और मो. यूसुफ को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। अदालत ने कहा कि केवल मोबाइल लोकेशन के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
क्या था मामला?
15 दिसंबर 2019 को जामिया नगर में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गया था। डीटीसी बसों निजी वाहनों और पुलिस की संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया। अदालत ने इसे सुनियोजित साजिश करार दिया और कहा कि यह कोई स्वतःस्फूर्त दंगा नहीं था।
अब आगे क्या होगा?
अदालत ने असल अंसारी और मो. हनीफ के खिलाफ आरोप अलग से तय करने का फैसला किया है। वहीं जिन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलेगा उनके खिलाफ गवाही और सबूतों के आधार पर आगे की सुनवाई होगी।