मुंबई: बॉलीवुड अभिनेता नाना पाटेकर को ‘मीटू’ मामले में बड़ी राहत मिली है। मुंबई की अंधेरी कोर्ट ने शुक्रवार (7 मार्च) को अभिनेत्री तनुश्री दत्ता की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला समय सीमा से बाहर दर्ज किया गया था और इसमें देरी का कारण भी नहीं बताया गया था।
2008 का मामला 2018 में हुआ था दर्ज
तनुश्री दत्ता ने 2008 में फिल्म ‘हॉर्न ओके प्लीज’ के सेट पर नाना पाटेकर पर उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। उन्होंने इस मामले में 2018 में एफआईआर दर्ज कराई थी जिससे बॉलीवुड में ‘MeToo’ आंदोलन ने जोर पकड़ा था।
पुलिस जांच में आरोप साबित नहीं
2019 में मुंबई पुलिस ने जांच के बाद कोर्ट में ‘बी-समरी’ रिपोर्ट दाखिल की थी जिसमें कहा गया था कि तनुश्री की शिकायत झूठी पाई गई और नाना पाटेकर के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
कोर्ट ने संज्ञान लेने से किया इनकार
न्यायिक मजिस्ट्रेट एनवी बंसल ने कहा कि एफआईआर देरी से दर्ज हुई और इसकी कोई वैध वजह नहीं दी गई। उन्होंने साफ किया कि अपराध की सीमा अवधि तीन साल होती है लेकिन यह मामला दर्ज होने में 10 साल से ज्यादा की देरी से दर्ज किया गया था।
नाना पाटेकर को राहत
कोर्ट ने कहा कि इतनी देर से दर्ज की गई शिकायत को संज्ञान में नहीं लिया जा सकता क्योंकि यह कानूनी प्रक्रिया और समानता के सिद्धांत के खिलाफ होगा।
इस फैसले के बाद नाना पाटेकर को मामले में पूरी तरह राहत मिल गई है।