नई दिल्ली: जिंदगी की मुश्किलों से लड़कर जीतने वाली दिल्ली की महिला उद्यमी रेशमा पावा की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। पति के निधन के बाद अकेले कारोबार और परिवार की जिम्मेदारी संभाली दो साल पहले कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को मात दी और आज सदर बाजार में उनकी पहचान एक सफल महिला कारोबारी के रूप में है।
पति की विरासत को संभाला
रेशमा पावा के पति का 2007 में गंभीर बीमारी के चलते निधन हो गया था। इसके बाद कई लोगों ने उन्हें दुकान बेचने या किराए पर देने की सलाह दी लेकिन उन्होंने अपने पति की दी हुई इस विरासत को खुद के दम पर आगे बढ़ाने का फैसला किया।
कैंसर को भी हराया
दो साल पहले रेशमा को कैंसर हो गया था। कीमोथेरेपी के कारण उनके बाल झड़ गए फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। वह विग लगाकर रोज दुकान पर जाती रहीं। बीमारी इतनी गंभीर थी कि डॉक्टरों को यूट्रस तक निकालना पड़ा लेकिन अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं और जीवन का आनंद ले रही हैं।
बेटों को पढ़ाया, लेकिन कोई दबाव नहीं डाला
रेशमा ने दोनों बेटों को विदेश में पढ़ाया और शादी धूमधाम से करवाई। उन्होंने कभी भी कारोबार संभालने का दबाव नहीं बनाया बल्कि उन्हें अपने पसंदीदा करियर चुनने की आजादी दी।
सदर बाजार में महिलाओं के लिए सुधार की जरूरत
रेशमा का कहना है कि सदर बाजार एशिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है लेकिन यहां गंदगी, अव्यवस्था और महिला शौचालयों की कमी एक बड़ी समस्या है। उन्होंने महिलाओं के लिए बेहतर सुविधाओं की मांग की।
संघर्ष की मिसाल बनीं रेशमा
रेशमा का मानना है कि महिलाएं किसी भी हालात में पुरुषों से कम नहीं हैं। उन्होंने अपने संघर्ष से यह साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो तो कोई भी मुश्किल रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती।