नई दिल्ली:- भारतीय रुपया शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में 22 पैसे टूटकर 87.41 प्रति अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया यह गिरावट डॉलर की मजबूती और वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के कारण हुई है।
डॉलर की मजबूती का कारण
डॉलर की मजबूती का मुख्य कारण अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों में सुधार है अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के कारण डॉलर की मांग बढ़ी है जिससे इसकी कीमतें बढ़ी हैं इसके अलावा वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के कारण भी डॉलर की मजबूती हुई है।
वैश्विक बाजारों में अस्थिरता
वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के कारण रुपया की कीमतें प्रभावित हुई हैं। वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के कारण निवेशकों ने सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर रुख किया है डॉलर की मांग बढ़ी है। इसके अलावा वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के कारण भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट हुई है।
रुपये की गिरावट के प्रभाव
रुपये की गिरावट के कारण आयात महंगा हो सकता है जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा रुपये की गिरावट के कारण निर्यातकों को भी नुकसान हो सकता है क्योंकि उनकी आयात लागत बढ़ जाएगी।
रुपया शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में 22 पैसे टूटकर 87.41 प्रति अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया यह गिरावट डॉलर की मजबूती और वैश्विक बाजारों में अस्थिरता के कारण हुई है। रुपये की गिरावट के कारण आयात महंगा हो सकता है जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।