नई दिल्ली:- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में बैंकों को एनबीएफसी और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (एमएफआई) को दिए गए ऋणों पर जोखिम वजन कम करने का फैसला किया है इस फैसले के पीछे के दो अहम आंकड़े हैं जो आरबीआई के इस कदम को समझने में मदद करेंगे।
एनबीएफसी क्षेत्र की वृद्धि
पहला आंकड़ा एनबीएफसी क्षेत्र की वृद्धि से संबंधित है। एनबीएफसी क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2022-23 में तेजी से वृद्धि की है जिसमें ऋण वृद्धि में दो-अंकों की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि मुख्य रूप से असुरक्षित ऋणों के कारण हुई है जो कि एनबीएफसी क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है।
एमएफआई क्षेत्र की वृद्धि
दूसरा आंकड़ा एमएफआई क्षेत्र की वृद्धि से संबंधित है। एमएफआई क्षेत्र ने भी वित्त वर्ष 2022-23 में तेजी से वृद्धि की है जिसमें ऋण वृद्धि में दो-अंकों की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि मुख्य रूप से गरीब और वंचित वर्गों के बीच माइक्रो फाइनेंस सेवाओं की बढ़ती मांग के कारण हुई है।
आरबीआई के फैसले के पीछे के कारण
आरबीआई के इस फैसले के पीछे के कारणों में से एक यह है कि एनबीएफसी और एमएफआई क्षेत्रों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। इसके अलावा आरबीआई ने यह भी महसूस किया है कि एनबीएफसी और एमएफआई क्षेत्रों में जोखिम वजन कम करने से इन क्षेत्रों में और अधिक वृद्धि हो सकती है।
आरबीआई का यह फैसला एनबीएफसी और एमएफआई क्षेत्रों के लिए एक सकारात्मक संकेत जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं इस फैसले से इन क्षेत्रों में और अधिक वृद्धि हो सकती है जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा।