नई दिल्ली:- भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरलता सुधार योजना के कारण भारतीय बॉन्ड यील्ड में गिरावट आई है । यह गिरावट निवेशकों के मनोबल को बढ़ाने में मदद कर रही है जो आर्थिक वृद्धि के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
आरबीआई की तरलता सुधार योजना
आरबीआई ने हाल ही में एक तरलता सुधार योजना की घोषणा की है जिसका उद्देश्य बाजार में तरलता को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत आरबीआई ने 28 फरवरी को एक तीन साल के डॉलर/रुपया खरीद/बिक्री स्वैप नीलामी आयोजित करने की घोषणा की है जिससे लगभग 87,000 करोड़ रुपये की तरलता का संचार होगा।
बॉन्ड यील्ड में गिरावट के कारण
बॉन्ड यील्ड में गिरावट के कई कारण हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
–आरबीआई की तरलता सुधार योजना: आरबीआई की तरलता सुधार योजना के कारण बाजार में तरलता को बढ़ावा मिला है जिससे बॉन्ड यील्ड में गिरावट आई है।
–निवेशकों का मनोबल: आरबीआई की तरलता सुधार योजना के कारण निवेशकों का मनोबल बढ़ा है जिससे वे बॉन्ड में निवेश करने के लिए आकर्षित हो रहे हैं।
–आर्थिक वृद्धि की उम्मीदें: आर्थिक वृद्धि की उम्मीदें बढ़ने से बॉन्ड यील्ड में गिरावट आई है क्योंकि निवेशकों को लगता है कि आर्थिक वृद्धि से बॉन्ड की मांग बढ़ेगी।
बॉन्ड यील्ड में गिरावट के प्रभाव
बॉन्ड यील्ड में गिरावट के कई प्रभाव हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं:
–निवेश में वृद्धि: बॉन्ड यील्ड में गिरावट से निवेश में वृद्धि हो सकती है क्योकि निवेशकों को लगता है कि बॉन्ड एक आकर्षक निवेश विकल्प है।
–आर्थिक वृद्धि में वृद्धि: बॉन्ड यील्ड में गिरावट से आर्थिक वृद्धि में वृद्धि हो सकती है क्योंकि निवेश में वृद्धि से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है।
–बाजार में स्थिरता: बॉन्ड यील्ड में गिरावट से बाजार में स्थिरता आ सकती है क्योंकि निवेशकों का मनोबल बढ़ने से बाजार में विश्वास बढ़ सकता है।