बेका घाटी (लेबनान):- लेबनान के पूर्वी क्षेत्र में स्थित बेका घाटी में मंगलवार को एक बड़ी घटना घटित हुई जब हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर शेख मोहम्मद अली हमादी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्या को अज्ञात बंदूकधारियों ने उस समय अंजाम दिया जब वह माचगारा इलाके में अपने घर के बाहर खड़े थे। हमादी को चलती गाड़ी से छह गोलियां मारी गईं जिसके बाद उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
हमादी की हत्या एक साजिश के तहत की गई प्रतीत होती है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां घटनास्थल पर पहुंच गईं और मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार हमलावरों ने एक तेज़ रफ्तार वाहन का इस्तेमाल किया और माचगारा इलाके में शेख मोहम्मद हमादी पर अचानक हमला किया। हमलावरों ने गाड़ी से उतरकर हमादी पर छह गोलियां दागी जो सीधे उनके शरीर के भौतिक अंगों में लगीं।
स्थानीय पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों ने जल्द ही इलाके को घेर लिया लेकिन हमलावरों का कोई सुराग नहीं मिल सका। फिलहाल हमलावरों की पहचान और उनके पीछे की मंशा पर सुरक्षा एजेंसियां काम कर रही हैं।
शेख मोहम्मद हमादी की हत्या हिजबुल्लाह संगठन के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि वह संगठन के शीर्ष कमांडरों में से एक थे। हमादी को संगठन में एक कुशल रणनीतिकार और नेतृत्वकर्ता माना जाता था। उनकी हत्या को संगठन के खिलाफ एक गंभीर हमले के रूप में देखा जा रहा है और इसे किसी बड़ी साजिश का हिस्सा माना जा सकता है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उनकी हत्या के पीछे कौन सा समूह या संगठन जिम्मेदार हो सकता है।
बेका घाटी जो लेबनान की पूर्वी सीमा पर स्थित है लंबे समय से आतंकवाद और उग्रवाद का गढ़ रहा है। यह इलाका हिजबुल्लाह का प्रमुख प्रभाव क्षेत्र भी है और यहां से कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और सैन्य गतिविधियाँ संचालित होती हैं। इस क्षेत्र में इस प्रकार की हिंसा नई नहीं है क्योंकि पहले भी यहां हिजबुल्लाह के नेताओं और अन्य प्रभावशाली व्यक्तित्वों को निशाना बनाया गया है।
हमादी की हत्या ने यह साबित कर दिया है कि इस क्षेत्र में उग्रवाद और आतंकवाद की स्थिति अभी भी काबू में नहीं है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस तरह की घटनाओं से क्षेत्रीय सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता पर असर पड़ता है जो पहले से ही कमजोर स्थिति में है।
शेख मोहम्मद हमादी की हत्या पर कई सवाल उठ रहे हैं। क्या यह एक आतंकी समूहों के बीच संघर्ष का हिस्सा था या फिर यह किसी विदेशी एजेंसी का काम है? हिजबुल्लाह की हत्या के बाद संगठन ने अपने सदस्य की मौत के लिए किसी विशेष गुट को जिम्मेदार ठहराया नहीं है। हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य हिजबुल्लाह की शक्ति को कमजोर करना है।
हालांकि हिजबुल्लाह संगठन ने इस हत्या के बाद शांति बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि इस घटना का जवाब उसी तरह से दिया जाएगा जैसा कि संगठन की परंपराओं में है।
लेबनान की सरकार और सुरक्षा एजेंसियां मामले की गंभीरता को समझते हुए मामले की जांच में तेजी ला रही हैं। लेबनान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने शेख मोहम्मद हमादी की हत्या पर गहरी चिंता व्यक्त की है और इसे राज्य की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती बताया है।
इसी बीच सुरक्षा अधिकारियों ने घटनास्थल से कुछ साक्ष्य जुटाए हैं जो हमलावरों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियां अब उन सभी संभावित कनेक्शनों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं जो इस हत्या से जुड़ी हो सकती हैं।
शेख मोहम्मद हमादी की हत्या लेबनान की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। हिजबुल्लाह जो लेबनान के सबसे ताकतवर और प्रभावशाली शिया मुस्लिम उग्रवादी समूहों में से एक है ने हमेशा अपनी स्थिति को मजबूत बनाए रखा है लेकिन अब इस हत्या के बाद उसकी ताकत में एक गिरावट आ सकती है। इस घटना से लेबनान के राजनीतिक समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं खासतौर पर शिया समुदाय और उनके सहयोगियों के बीच।
शेख मोहम्मद अली हमादी की हत्या ने एक बार फिर लेबनान और मध्य-पूर्व में राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति को खतरे में डाल दिया है। हमदी की मौत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि लेबनान में अब भी अस्थिरता बनी हुई है और यहां के उग्रवादी गुटों के बीच संघर्ष शांत नहीं हुआ है। सरकार और सुरक्षा बलों के लिए यह चुनौती है कि वे जल्दी से जल्दी इस हत्या की जांच पूरी करें और दोषियों को गिरफ्तार करें ताकि ऐसे हिंसक घटनाओं का पुनरावृत्ति रोकी जा सके।