नई दिल्ली:- केंद्र सरकार ने 5वीं से 8वीं कक्षा तक लागू नो डिटेंशन पॉलिसी को खत्म कर दिया है। अब जो छात्र इन कक्षाओं में फेल होंगे उन्हें अगली कक्षा में प्रमोशन नहीं मिलेगा। फेल छात्रों को दोबारा से परीक्षा पास करनी होगी। सरकार का यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों की अकादमिक परफॉर्मेंस को सुधारने के लिए लिया गया है।
नो डिटेंशन पॉलिसी क्या थी?
नो डिटेंशन पॉलिसी के तहत छात्रों को 5वीं से 8वीं तक फेल होने के बावजूद अगली कक्षा में प्रमोट किया जाता था। स्कूल छात्रों को निष्कासित नहीं कर सकते थे और बिना परीक्षा पास किए भी उन्हें अगले स्तर पर भेजा जाता था।
अब क्या होंगे बदलाव?
• फेल छात्रों को प्रमोट नहीं किया जाएगा:
यदि कोई छात्र 5वीं से 8वीं कक्षा में फेल होता है तो उसे अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।
• फेल छात्रों के लिए दोबारा परीक्षा:
छात्रों को दो महीने के भीतर फिर से परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। अगर वे पास हो जाते हैं तो उन्हें प्रमोट किया जाएगा।
• निष्कासन पर रोक:
स्कूल किसी भी छात्र को निष्कासित नहीं कर सकते। यह सुनिश्चित किया गया है कि हर छात्र को पढ़ाई का पूरा मौका मिले।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस पॉलिसी को खत्म करने का मकसद छात्रों की शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार लाना है। साथ ही इससे छात्रों की सीखने की क्षमता को भी बढ़ावा मिलेगा।
शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि नो डिटेंशन पॉलिसी के चलते छात्रों की पढ़ाई और प्रदर्शन पर नकारात्मक असर पड़ रहा था। नई नीति के तहत छात्रों को नियमित तौर पर पढ़ाई में मेहनत करनी होगी।
छात्रों और अभिभावकों के लिए क्या मायने रखता है यह बदलाव?
• छात्रों को अब हर कक्षा में पास होने के लिए तैयारी करनी होगी।
• यह कदम छात्रों में अनुशासन और पढ़ाई के प्रति गंभीरता लाने में मदद करेगा।
• फेल होने के बावजूद छात्रों को दोबारा कोशिश करने का अवसर मिलेगा।
नई दिल्ली में हुए इस फैसले का असर पूरे भारत के स्कूलों पर पड़ेगा। यह नीति शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है।