नई दिल्ली:- पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर की जमानत याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। उन पर गंभीर आरोप हैं कि उन्होंने साजिश रचकर ओबीसी और दिव्यांगता कोटा का गलत लाभ उठाया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस धोखाधड़ी ने न केवल कानून का उल्लंघन किया है बल्कि देश की छवि को भी नुकसान पहुंचाया है।
पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने ओबीसी और दिव्यांगता कोटा का लाभ लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 31 जुलाई 2023 को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी। आयोग ने उन्हें सिविल सेवा परीक्षा-2022 के नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया और भविष्य की सभी परीक्षाओं से उन्हें स्थायी रूप से अयोग्य घोषित कर दिया।
हाईकोर्ट ने पूजा को पहले मिली गिरफ्तारी पर अंतरिम सुरक्षा को भी हटा दिया है। अगस्त 2023 में यह सुरक्षा प्रदान की गई थी। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने भी पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। ट्रायल कोर्ट ने जांच एजेंसी को मामले की निष्पक्ष और विस्तृत जांच के निर्देश दिए थे। पूजा खेडकर ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन उन्हें यहां भी राहत नहीं मिली।
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि पूजा खेडकर ने जानबूझकर साजिश रची जिससे देश और प्रशासनिक सेवाओं की विश्वसनीयता को ठेस पहुंची। अदालत ने यह भी कहा कि इस प्रकार की धोखाधड़ी समाज के प्रति गलत संदेश देती है और इसे सख्ती से रोकना जरूरी है।
यह मामला यह दर्शाता है कि प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश के लिए पारदर्शिता और ईमानदारी कितनी महत्वपूर्ण है। कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो अनुचित साधनों का सहारा लेकर अपने लक्ष्य प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। इस घटना ने न केवल प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाए हैं बल्कि यह भी दर्शाया है कि कानून का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।