हेल्थ टिप्स:- भारत में बढ़ती डायबिटीज (मधुमेह) की समस्या को देखते हुए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने देश का पहला डायबिटीज बायोबैंक स्थापित किया है। इस बायोबैंक का उद्देश्य मधुमेह की रोकथाम और इलाज के लिए नए उपायों की खोज करना है और लोगों में डायबिटीज के खतरे का पहले से पता लगाने में मदद करना है। यह बायोबैंक दिल्ली में स्थित है और इसकी शुरुआत 2024 के अंत में हुई है।
बायोबैंक की विशेषताएँ:
1. डेटा संग्रहण: डायबिटीज बायोबैंक में देशभर के विभिन्न हिस्सों से रक्त, मूत्र और जीनोम डेटा इकट्ठा किया जाएगा। इन डेटा का विश्लेषण किया जाएगा ताकि डायबिटीज के कारणों और इसके जोखिम फैक्टरों का पता चल सके।
2. प्रारंभिक पहचान: बायोबैंक का प्रमुख उद्देश्य यह है कि लोग अपने डायबिटीज के खतरे का पहले ही पता कर सकें। यदि किसी व्यक्ति के शरीर में डायबिटीज के लक्षण प्रारंभिक स्तर पर दिखते हैं तो उसे जीवनशैली में बदलाव करने के लिए समय रहते सलाह दी जा सकेगी।
3. स्मार्ट तकनीक का इस्तेमाल: इस बायोबैंक में अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा जिससे डेटा का विश्लेषण अधिक सटीकता से किया जा सके। इसके द्वारा दी गई जानकारी शोधकर्ताओं को बेहतर निवारक उपाय विकसित करने में मदद करेगी।
4. दूसरे मेडिकल क्षेत्र में योगदान: बायोबैंक से प्राप्त जानकारी केवल डायबिटीज तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि यह अन्य संबंधित बीमारियों जैसे हृदय रोग और मोटापे के इलाज में भी मददगार साबित हो सकती है।
डायबिटीज के बढ़ते मामलों पर चिंता:
भारत में डायबिटीज के मामलों में पिछले कुछ दशकों में भारी वृद्धि हुई है। 2019 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार भारत में लगभग 77 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित हैं जो इसे दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा डायबिटीज प्रभावित देश बनाता है। अगर इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो आने वाले वर्षों में यह संख्या और बढ़ सकती है।
इस समस्या को ध्यान में रखते हुए ICMR का यह कदम एक महत्वपूर्ण पहल है जो न केवल डायबिटीज की रोकथाम में मदद करेगा बल्कि इसके इलाज के लिए भी नए रास्ते खोलेगा।
बायोबैंक की कार्यप्रणाली:
डायबिटीज बायोबैंक में डेटा एकत्रित करने और संरक्षित करने की प्रक्रिया पूरी तरह से वैज्ञानिक और संरक्षित तरीके से की जाएगी। इस बायोबैंक में देश के विभिन्न हिस्सों से डेटा प्राप्त किया जाएगा जिसमें ग्रामीण और शहरी दोनों प्रकार के आबादी के आंकड़े शामिल होंगे। इस विविधता के कारण शोधकर्ताओं को देशभर में डायबिटीज के पैटर्न का बेहतर अंदाजा होगा।
आईसीएमआर की उम्मीदें:
अधिकारियों का मानना है कि इस बायोबैंक से प्राप्त जानकारी से नए रिसर्च और इलाज के तरीकों को गति मिलेगी। इसके अलावा यह बायोबैंक भविष्य में डायबिटीज से संबंधित नए जोखिम संकेतकों को पहचानने और इलाज के लिए नवीनतम उपचार विधियों को विकसित करने में सहायक होगा।
भारत में डायबिटीज की समस्या को नियंत्रित करने के लिए द्वारा स्थापित किया गया यह बायोबैंक एक ऐतिहासिक कदम है। इसका उद्देश्य न केवल डायबिटीज के जोखिम की पहचान करना है बल्कि इसके प्रभावी इलाज के नए तरीके भी विकसित करना है जिससे देश में स्वास्थ्य सुधार हो सके।